New Delhi, 24 अगस्त . देश का कुल मछली उत्पादन 2013-14 में 96 लाख टन से 104 प्रतिशत बढ़कर 2024-25 में 195 लाख टन हो गया है. इसी अवधि में अंतर्देशीय मत्स्य पालन 61 लाख टन से 142 प्रतिशत बढ़कर 147.37 लाख टन हो गया है. यह जानकारी सरकारी की ओर से दी गई.
22 जुलाई तक मत्स्य विभाग ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 21,274.16 करोड़ रुपए की मत्स्य विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी है.
प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) के तहत शीघ्र कार्यान्वयन हेतु अप्रैल तक 11.84 करोड़ रुपए स्वीकृत किए जा चुके हैं.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, “अगस्त तक, मछुआरों, सूक्ष्म उद्यमों, मत्स्यपालक उत्पादक संगठनों और निजी कंपनियों सहित कुल 26 लाख से अधिक हितधारकों ने राष्ट्रीय मत्स्य पालन डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) पर पंजीकरण कराया है.”
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन में लगभग 8 प्रतिशत का योगदान देता है. यह क्षेत्र लाखों परिवारों, विशेष रूप से तटीय और ग्रामीण क्षेत्रों में, के लिए भोजन, रोजगार और आय का एक प्रमुख स्रोत है.
पिछले एक दशक में इसके पैमाने और विधि दोनों में बड़े बदलाव आए हैं.
मत्स्य पालन विभाग ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 29 जुलाई तक 17,210.46 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को समर्थन दिया है.
आंकड़ों के मुताबिक, जून 2025 तक, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मछुआरों और मछली पालकों को 4.76 लाख किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जारी किए जा चुके हैं, जिनका कुल लोन वितरण 3,214.32 करोड़ रुपए है.
केंद्रीय बजट 2025-26 में मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए अब तक का सबसे अधिक 2,703.67 करोड़ रुपए का कुल वार्षिक बजटीय समर्थन प्रस्तावित किया गया है.
विभाग ने देश भर में 34 मत्स्य पालन समूहों को आधिकारिक रूप से अधिसूचित किया है. इसमें सिक्किम और मेघालय में समर्पित जैविक मत्स्य पालन समूह शामिल हैं, जो पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ प्रथाओं को प्रोत्साहित करते हैं.
भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र मजबूत नीतिगत समर्थन, आधुनिक तकनीकों और समावेशी पहलों के माध्यम से एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है.
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एबीएस/