प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत की जन्म जयंती, याद कर रहे हैं सैन्यबल

नई दिल्ली 16 मार्च . देशवासी देश के सैन्य बल भारत के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत को याद कर रहे हैं. रविवार 16 मार्च को, अदम्य साहस के प्रतीक जनरल बिपिन रावत का जन्म दिवस है. 16 मार्च 1958 को उनका जन्म उत्तराखंड के गढ़वाल इलाके में हुआ था.

1 जनवरी 2020 को जनरल रावत को देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में नियुक्त किया गया था. यह देश के सैन्य इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण सुधारों में से एक था. इस पद का सृजन सशस्त्र बलों को और अधिक सशक्त करने के उद्देश्य से किया गया था. 8 दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में एक हेलिकॉप्टर हादसे में जनरल रावत की मृत्यु हो गई थी. रक्षा मंत्रालय का कहना है कि जनरल रावत ने सीडीएस के पद पर रहते हुए सशस्त्र बलों को एकीकृत करने के लिए काम किया. उनकी अग्रणी परिवर्तनकारी पहल और नागरिक – सैन्य तालमेल के उनके प्रयास उनकी विरासत हैं.

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि जनरल रावत के उत्साह ने सशस्त्र बलों को अग्निपथ के विचार से वास्तविकता में बदलने के लिए प्रेरित किया. अग्निपथ स्वतंत्रता के बाद सशस्त्र बलों द्वारा किया गया सबसे बड़ा मानव संसाधन परिवर्तन है. अपने चार दशकों के अपने बेहद बहादुरी भरे कार्यकाल में जनरल रावत ने कई महत्वपूर्ण मिशनों का नेतृत्व किया. उन्होंने जम्मू कश्मीर के सोपोर में सफल आतंकवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व किया. बतौर थल सेना प्रमुख उनकी लीडरशिप में पीओके के आतंकवादी समूहों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी.

देश के मौजूदा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने रविवार को इस अवसर पर भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस अवसर पर कहा गया कि जनरल बिपिन रावत एक दूरदर्शी नेता, एक निडर सैनिक और एक रणनीतिक विचारक थे, जिन्होंने भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. अटूट संकल्प, दूरदर्शिता और अनुकरणीय नेतृत्व के धनी जनरल रावत की अदम्य भावना और राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता योद्धाओं की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी. उनकी विरासत हर सैनिक और नागरिक के दिलों में जिंदा है.

जनरल रावत ने एक मेजर जनरल के रूप में उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा के साथ एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी, जहां उनका प्रदर्शन बेहतरीन था. बतौर कोर कमांडर उनकी देखरेख में म्यांमार में भारतीय सेना के स्पेशल फोर्सेज द्वारा आतंकी समूहों के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई की गई थी. यह भारत की सामरिक संस्कृति के संयम से मुखरता में परिवर्तन की शुरुआत थी. पूर्व सीडीएस बिपिन रावत इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून में थे. 16 दिसंबर 1978 को उन्हें 11 गोरखा रायफल्स की 5वीं बटालियन में कमीशन मिला था. बीते वर्ष 12 फरवरी को देहरादून के टोंस ब्रिज स्कूल में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) दिवंगत जनरल बिपिन रावत की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया गया था.

सैन्य सेवाओं के लिए जनरल बिपिन रावत को पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम और मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि जनरल बिपिन रावत दूरदर्शी होने के साथ-साथ एक विद्वान सैनिक थे. वह विश्व भर में अपने प्रोफेशनल स्किल्स, दृढ़ विश्वास और निर्णय लेने की मजबूत इच्छा शक्ति के लिए जाने जाते थे. भारतीय वायुसेना ने जनरल बिपिन रावत का स्मरण करते हुए कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ स्वर्गीय जनरल बिपिन रावत की जयंती पर, हम उनके दूरदर्शी नेतृत्व और राष्ट्र की रक्षा को मजबूत करने के लिए उनके अटूट समर्पण को याद करते हैं. उनकी विरासत भारतीय वायु सेना में हम सभी को प्रेरित करती रहती है.

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