मुंबई, 13 जनवरी . रेटिंग प्राप्त किए हुए भारतीय कॉरपोरेट्स की क्रेडिट मेट्रिक्स में वित्त वर्ष 2025-26 में सुधार हो सकता है. इसकी वजह अधिक एबिटा मार्जिन का होना है. यह जानकारी फिच की ताजा रिपोर्ट में दी गई.
फिच ने अपनी रिपोर्ट ‘इंडिया कॉरपोरेट्स क्रेडिट ट्रेंड्स: जनवरी 2025’ में कहा कि लीवरेज में सुधार से अधिकांश कॉरपोरेट्स को पर्याप्त रेटिंग हेडरूम बनाए रखने में मदद मिलेगी.
रिपोर्ट में कहा गया है, “हमारा अनुमान है कि भारत की स्थिर जीडीपी वृद्धि अनुमान, बैंकिंग क्षेत्र की बेहतर वित्तीय सेहत और 2025 में ब्याज दरों में संभावित कटौती से वित्त वर्ष 26 में कॉरपोरेट्स की लोन तक पहुंच को समर्थन मिलेगा.”
हमें इस बात की उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक 2025 में ब्याज दरों में कटौती करेगा, क्योंकि उसने पिछले महीने अपनी नीति समीक्षा बैठक में कैश रिजर्व में (सीआरआर) में 50 आधार अंकों की कमी करके बैंकिंग सिस्टम में तरलता को बढ़ाया था.
फिच के मुताबिक, “भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अधिक खर्च वित्त वर्ष 26 के दौरान सीमेंट, बिजली, पेट्रोलियम उत्पादों, स्टील और इंजीनियरिंग एवं निर्माण (ईएंडसी) कंपनियों के लिए अच्छी मांग को बढ़ावा देगा.”
रिपोर्ट में बताया गया कि यात्रा और पर्यटन उद्योग में मांग में सुधार जारी रहेगा, हालांकि इसकी गति मध्यम रहेगी. वैश्विक स्तर पर अधिक आपूर्ति से केमिकल कंपनियों की कीमतों पर दबाव बना रहेगा.
फिच ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों की आय वृद्धि को टैरिफ वृद्धि से समर्थन मिलेगा.
घरेलू बाजार में धीमी मात्रा वृद्धि और कम निर्यात के कारण ऑटो आपूर्तिकर्ताओं की बिक्री वृद्धि मध्यम से मध्यम एकल अंक तक रहेगी.
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ऊर्जा की कीमतें बढ़ती हैं, तो मौजूदा भू-राजनीतिक जोखिमों, भारतीय रुपये पर निरंतर नीचे की ओर दबाव या प्रतिकूल व्यापार संरक्षणवादी उपायों से निर्यात में कमी आने का नकारात्मक जोखिम बना हुआ है.
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एबीएस/