फादर्स डे स्पेशल : वो नेता जिनकी सियासत की राह पिता की पहचान से होकर गुजरी और संवरी

New Delhi, 14 जून . भारतीय राजनीति में कई ऐसे चेहरे हैं, जिनके लिए राजनीति कोई नई राह नहीं थी, बल्कि एक पारिवारिक विरासत की तरह उन्हें मिली. देश के कई दिग्गज नेताओं के बच्चे अब सत्ता के गलियारों में अपनी पहचान बना चुके हैं. 15 जून को फादर्स डे के अवसर पर आइए नजर डालते हैं उन सियासी वारिसों पर, जिन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया.

गांधी परिवार

पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद उनकी विरासत (बेटी) पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने संभाली. इसके बाद राजीव गांधी की राजनीति में एंट्री हुई थी, लेकिन उनका सफर अल्पकालिक रहा. उनके निधन के बाद सोनिया गांधी ने परिवार की विरासत संभाली और बाद में राहुल गांधी ने राजनीति में कदम रखा. राहुल गांधी आज पार्टी के प्रमुख चेहरों में शामिल हैं. बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी अब सक्रिय राजनीति में हैं और भाई के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. इसके साथ ही, संजय गांधी के पुत्र वरुण गांधी भी सक्रिय राजनीति में हैं. वह तीन बार Lok Sabha सांसद रह चुके हैं.

अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश के पूर्व Chief Minister मुलायम सिंह यादव ने राजनीतिक विरासत बेटे अखिलेश यादव को सौंपी. अखिलेश अब समाजवादी पार्टी की कमान संभाल रहे हैं और सपा की पहचान को आधुनिकता और युवाओं के जुड़ाव के साथ नए सिरे से गढ़ रहे हैं.

तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव

बिहार की राजनीति में लालू यादव एक स्थायी नाम हैं. उनके बेटे तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम रह चुके हैं, तेजप्रताप यादव बिहार में स्वास्थ्य मंत्री और पर्यटन मंत्री बन चुके हैं. बेटी मीसा भारती राज्यसभा और अब Lok Sabha सांसद हैं. रोहिणी आचार्य भी धीरे-धीरे सियासी धरातल पर उभर रही हैं. लालू का पूरा परिवार राजनीति में सक्रिय है.

चिराग पासवान

रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी में टूट हुई, लेकिन बेटे चिराग पासवान ने नेतृत्व की क्षमता दिखाई. चाचा पशुपति पारस से टकराव के बाद चिराग ने 2024 के Lok Sabha चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया और मोदी सरकार 3.0 में केंद्रीय मंत्री बने. वे अपने पिता की लोक जनशक्ति पार्टी को एक नई पहचान देने की कोशिश में हैं.

उद्धव और आदित्य ठाकरे

बाल ठाकरे ने राजनीति से दूर रहने की पारिवारिक नीति अपनाई थी, लेकिन उनके बेटे उद्धव ठाकरे ने इस परंपरा को तोड़ा. वे महाराष्ट्र के Chief Minister बने और अपने बेटे आदित्य ठाकरे को भी मंत्री बनाया. हालांकि अब शिवसेना दो हिस्सों में बंट चुकी है- उद्धव गुट और एकनाथ शिंदे गुट.

सुप्रिया सुले

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक शरद पवार ने पार्टी की बागडोर बेटी सुप्रिया सुले को सौंपी. वे Lok Sabha सांसद हैं और पार्टी की प्रभावशाली नेता मानी जाती हैं. भतीजे अजीत पवार से टकराव के बावजूद शरद पवार की राजनीतिक रणनीति अब भी कायम है.

कुमारस्वामी

पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने राजनीति में बेटे एचडी कुमारस्वामी को स्थापित किया, जो कर्नाटक के Chief Minister रह चुके हैं. फिलहाल वे मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं और जेडीएस की सियासी पहचान को बनाए रखने की कोशिश में हैं.

श्रीकांत शिंदे

महाराष्ट्र के उपChief Minister एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे कल्याण से Lok Sabha सांसद हैं. वे अपने पिता की राह पर चल रहे हैं और शिवसेना (शिंदे गुट) में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

परिणिति शिंदे

कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे की बेटी परिणिति शिंदे 28 साल की उम्र में विधायक बनीं थीं. फिलहाल वह सोलापुर से Lok Sabha सांसद हैं और वे महाराष्ट्र की राजनीति में युवा चेहरों में गिनी जाती हैं.

महबूबा मुफ्ती

जम्मू-कश्मीर के पूर्व Chief Minister मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी महबूबा मुफ्ती पीडीपी की अध्यक्ष हैं. वे राज्य की पहली महिला Chief Minister रह चुकी हैं और घाटी की राजनीति में उनकी अहम भूमिका रही है.

पूनम महाजन

भाजपा नेता प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन ने 2014 में उत्तर मध्य Mumbai से जीत हासिल कर संसद में प्रवेश किया. उन्होंने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया है.

पंकजा मुंडे

दिवंगत भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे महाराष्ट्र की राजनीति में सक्रिय हैं. वे महिला सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर खुलकर बोलती रही हैं. फिलहाल महाराष्ट्र सरकार में मंत्री हैं.

कनिमोझी

तमिलनाडु के पूर्व Chief Minister एम करुणानिधि की बेटी कनिमोझी डीएमके सांसद हैं. पत्रकारिता और कविता में भी रुचि रखने वाली कनिमोझी राजनीति में प्रभावशाली मौजूदगी दर्ज की हैं.

अनुप्रिया पटेल

उत्तर प्रदेश की मिर्जापुर सांसद अनुप्रिया पटेल अपना दल की अध्यक्ष हैं और वर्तमान में केंद्र में मंत्री हैं. उन्होंने अपने पिता सोने लाल पटेल की विरासत को आगे बढ़ाया है. वे कुर्मी समुदाय में मजबूत पकड़ रखती हैं और भाजपा गठबंधन में अहम सहयोगी हैं.

कार्ति चिदंबरम

पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने भी अपनी पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया है. कार्ति चिदंबरम तमिलनाडु के शिवगंगा से Lok Sabha सांसद हैं और अपने पिता के पदचिह्नों पर आगे बढ़ रहे हैं.

उदयनिधि स्टालिन

उदयनिधि स्टालिन ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत आगे बढ़ाने की कोशिश की है और वह तमिलनाडु सरकार में उपChief Minister हैं. उनके पिता राज्य के Chief Minister हैं. वह कई बार अपने राजनीतिक बयानों की वजह से सुर्खियों में रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि भारतीय राजनीति में वंशवाद पर भले ही सवाल उठते हों, लेकिन इन नेताओं ने पिता की पहचान से आगे बढ़ते हुए खुद को साबित किया है. इनके अलावा और भी कई ऐसे चेहरे हैं, जो अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में जुटे हुए हैं.

डीएससी/