‘बिना पैसे और साधनों के हमला नहीं हो सकता’, एफएटीएफ ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की

पेरिस/नई दिल्ली, 16 जून . फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की सोमवार को कड़ी निंदा की. एफएटीएफ ने कहा कि यह हमला आतंकी समर्थकों के बीच धन और फंड ट्रांसफर के साधनों के बिना संभव नहीं हो सकता था.

एफएटीएफ ने सोमवार को एक बयान में कहा कि आतंकी हमले दुनिया भर में लोगों की जान लेते हैं, उन्हें अपंग बनाते हैं और भय पैदा करते हैं. पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए क्रूर आतंकवादी हमले पर एफएटीएफ गंभीर चिंता व्यक्त करता है और इसकी निंदा करता है. इस तरह के हमले बिना धन और आतंकी समर्थकों के बीच फंड ट्रांसफर के साधनों के संभव नहीं हो सकते.

बयान में आगे कहा गया, “जैसा कि एफएटीएफ अध्यक्ष ने म्यूनिख में हाल ही में आयोजित ‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन में बताया, कोई अकेली कंपनी, प्राधिकरण या देश इस चुनौती का सामना अकेले नहीं कर सकता. हमें वैश्विक आतंकवाद के खतरे के खिलाफ एकजुट होना होगा क्योंकि आतंकवादियों को अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए केवल एक बार सफल होने की जरूरत होती है, जबकि हमें इसे रोकने के लिए हर बार सफल होना पड़ता है.”

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे.

पहलगाम आतंकी हमले की जांच में आतंकियों के पाकिस्तान से संचार नेटवर्क का पता चला. द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) नामक समूह ने, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा है, इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. हालांकि, बाद में उसने वह पलट गया था.

भारत ने मई और नवंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम को अर्ध-वार्षिक रिपोर्ट में टीआरएफ के बारे में जानकारी दी थी, जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के लिए एक आवरण के रूप में इसकी भूमिका को सामने लाया गया था.

इससे पहले, दिसंबर 2023 में भारत ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के बारे में जानकारी दी थी, जो टीआरएफ जैसे छोटे आतंकी समूहों के माध्यम से काम कर रहे हैं. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान विदेश मंत्रालय (एमईए) ने 25 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रेस वक्तव्य में टीआरएफ के संदर्भों को हटाने के लिए पाकिस्तान के दबाव को उजागर किया था.

एफएटीएफ ने, जो मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी वित्तपोषण और सामूहिक विनाश के हथियारों के वित्तपोषण के खिलाफ वैश्विक वित्तीय प्रणाली की रक्षा के लिए नीतियां बनाता और बढ़ावा देता है, पहले स्वीकार किया है कि भारत 1947 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से लगातार आतंकवाद के प्रभावों से पीड़ित रहा है और अब भी विविध आतंकी खतरों का सामना करता है, जिन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है.

हाल ही में के साथ विशेष बातचीत में पूर्व राजनयिकों और आतंकवाद-रोधी विशेषज्ञों समेत कई विशेषज्ञों ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का समर्थन किया था, जिसमें आतंकवाद के वित्तपोषण में लगातार संलिप्तता और वैश्विक आतंकी संगठनों को समर्थन देने के लिए देश को एफएटीएफ की ग्रे सूची में वापस डालना भी शामिल है.

पीएसके/एकेजे