New Delhi, 24 जून . BJP MP बृजलाल ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा न मिलने का कारण वहां की मुस्लिम आबादी को बताया था. इस बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा के राज्यसभा सांसद बृजलाल ने कहा कि उनका यह बयान न केवल तथ्यों से परे है, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचाने वाला है.
बृजलाल ने कहा, “विपक्ष लगातार अनर्गल सवाल उठाता रहता है. फारूक अब्दुल्ला का यह कहना कि जम्मू-कश्मीर को इसलिए पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिल रहा क्योंकि वहां मुस्लिम आबादी है, बेहद दुखद है. क्या जम्मू-कश्मीर में सिर्फ मुस्लिम ही रहते हैं? वहां हिंदू, सिख और अन्य समुदाय के लोग नहीं हैं? यह बयान सामुदायिक आधार पर समाज को बांटने की कोशिश है.”
उन्होंने कहा कि India Government ने कभी यह नहीं कहा कि जम्मू-कश्मीर को हमेशा केंद्र शासित प्रदेश के रूप में ही रखा जाएगा. जब समय आएगा, India Government पूर्ण राज्य के दर्जे पर विचार करेगी. अभी फारूक अब्दुल्ला को यह जवाब देना चाहिए कि कश्मीरी पंडितों के साथ जो अत्याचार हुआ, उनके कत्लेआम और पलायन पर उनकी चुप्पी क्यों थी?
उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने के निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह फैसला जम्मू-कश्मीर के विकास और वहां के लोगों के कल्याण के लिए लिया गया था. जब अनुच्छेद 370 को 2019 में हटाया गया, तब यह एक साहसिक और दूरगामी कदम था. पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद अपने चरम पर था, Pakistanी झंडे लहराए जाते थे और कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार हुए. करीब पांच लाख कश्मीरी पंडितों को अपनी जमीन छोड़कर पलायन करना पड़ा. उस समय फारूक अब्दुल्ला Chief Minister थे. तब मस्जिदों से ऐलान हो रहा था कि कश्मीरी पंडित अपनी बेटियों और बहनों को छोड़कर भाग जाएं या फिर मरने के लिए तैयार रहें. उस वक्त फारूक अब्दुल्ला ने क्या किया? उनके परिवार ने क्या कदम उठाए?”
BJP MP ने फारूक अब्दुल्ला के परिवार और उनके पिता शेख अब्दुल्ला की भूमिका पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “शेख अब्दुल्ला ने नेहरू जी को प्रभावित करके जम्मू-कश्मीर को एक अलग क्षेत्र की तरह पेश किया. उस समय वहां बिना परमिट के कोई जा नहीं सकता था. यह श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान था, जिन्होंने ‘एक देश में दो निशान, दो प्रधान, दो संविधान’ के खिलाफ आवाज उठाई. उनके इस बलिदान को देखते हुए Prime Minister Narendra Modi और गृह मंत्री अमित शाह ने 2019 में अनुच्छेद 370 को समाप्त किया.”
बृजलाल ने आगे कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में विकास का नया दौर शुरू हुआ है. पहले वहां संविधान लागू ही नहीं होता था. गरीब, दलित, पिछड़े और आदिवासी समुदाय के लोगों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखा गया था. अब वहां आरक्षण लागू हुआ है, पसमांदा मुस्लिमों और अन्य वंचित वर्गों को सुविधाएं मिल रही हैं. यह बदलाव अनुच्छेद 370 के हटने से संभव हुआ.
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एकेएस/एबीएम