किसानों ने तोड़ा पुलिस बैरिकेड, हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं

नोएडा, 23 अक्टूबर . अपनी मांगों को लेकर किसानों ने नोएडा प्राधिकरण के बाहर प्रदर्शन किया है. भारतीय किसान यूनियन मंच के बैनर तले किसान दोपहर एक बजे हरौला बारात घर पहुंचे. यहां से किसान पैदल मार्च करते हुए प्राधिकरण पहुंचे. यहां मुख्य सड़क पर बैरिकेड लगाकर किसानों को रोकने का प्रयास किया गया. यहां किसानों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की हुई. इसके बाद किसानों ने बैरिकेड तोड़ दिए.

किसान प्राधिकरण की सड़क पर आ गए. आनन-फानन में प्राधिकरण के सभी गेट को बंद किया गया. इसके बाद किसान वहीं सड़क पर बैठ गए. किसानों ने हंगामा शांत नहीं किया. कुछ किसान प्राधिकरण की छत पर चढ़ गए. वहां किसानों ने अपना झंडा लगा दिया. पुलिस प्रशासन के समझाने के बाद किसान शांत हुए और प्राधिकरण के बाहर सड़क पर धरने पर बैठ गए.

किसानों ने स्पष्ट कहा कि वे हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हैं. किसानों के मुताबिक उनकी मांग 10 प्रतिशत विकसित भूखंड और 64.7 प्रतिशत की दर से अतिरिक्त मुआवजे की है. इसे हाई पावर कमेटी ने खारिज कर दिया है. ऐसे में मांग जब तक पूरी नहीं होती है, प्रदर्शन जारी रहेगा.

भारतीय किसान यूनियन मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुधीर चौहान ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी बताएं कि किसानों से हुए समझौते किस रूप में और कितने अमल में लाए गए. जब तक यह समझौते पूर्ण रूप से नोएडा प्राधिकरण में लागू नहीं हो जाते तब तक भारतीय किसान यूनियन मंच नोएडा प्राधिकरण के गेट पर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन करता रहेगा.

भारतीय किसान यूनियन मंच के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अशोक चौहान ने कहा कि जिन किसानों को मूल 5 प्रतिशत के प्लॉट नहीं मिले हैं. उन सभी किसानों को 5 प्रतिशत के मूल प्लॉट दिए जाएं, जिन किसानों के न्यायालय से आदेश आ चुके हैं, उन सभी किसानों को अतिरिक्त 5 प्रतिशत के भूखंड या धनराशि दी जाए, सभी 81 गांवों का विकास सेक्टर की तर्ज पर किया जाए, सभी किसानों को साल 1997 से 64.7 प्रतिशत मुआवजा और 10 प्रतिशत के विकसित भूखंड दिए जाएं.

इसके अलावा नोएडा के सभी 81 गांवों के किसानों की आबादी को 450 मीटर से एक हजार मीटर करते हुए आबादी का संपूर्ण समाधान करें, 1976 से 1997 तक के सभी किसानों को कोटा स्कीम के प्लॉट आवंटित करें, नोएडा प्राधिकरण के गांवों में स्वामित्व योजना लागू की जाए, गांव में नक्शा नीति समाप्त करने की मांग भी शामिल है.

पीकेटी/एबीएम