न्यूक्लियर संयंत्रों के समीप रेडिएशन नियामक सीमाओं से काफी कम

नई दिल्ली, 5 दिसंबर . न्यूक्लियर विद्युत संयंत्रों के आसपास लोगों में रेडिएशन (विकिरण) की मात्रा नियामक सीमाओं से काफी कम है. केंद्र सरकार के मुताबिक न्यूक्लियर विद्युत संयंत्र स्थलों के आसपास बीएआरसी द्वारा किए गए 20 वर्ष के अध्ययन से यह निष्कर्ष निकाला गया है. अध्ययन यह बताता है कि इन संयंत्रों से आम लोगों को खतरा नहीं है. इससे सुरक्षित, कुशल प्रचालन और सख्त नियामक अनुपालन सुनिश्चित होता है.

निष्कर्षों को एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘साइंस ऑफ टोटल एनवायरनमेंट’ में प्रकाशित किया गया है. गुरुवार को राज्यसभा में इस संदर्भ में जानकारी देते हुए केंद्र सरकार ने बताया कि नाभिकीय विद्युत संयंत्रों का निर्माण और संचालन उच्चतम संरक्षा मानकों को अपनाते हुए किया जाता है.

सरकार का कहना है कि यहां परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में रेडियो सक्रियता के रिसाव की संभावना बहुत ही कम है. यहां तक कि यदि सार्वजनिक क्षेत्र में रेडियो सक्रियता के रिसाव की असंभावित घटना हो, तो भी मानव जीवन को किसी बड़े खतरे से बचाने के लिए, आपातकालीन तैयारी योजनाएं पहले से ही बनाई गई हैं.

केंद्र सरकार का कहना है कि नाभिकीय ऊर्जा के सभी पहलुओं, जैसे स्थान का चयन, निर्माण, कमीशन एवं संचालन संरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है. न्यूक्लियर विद्युत संयंत्रों का अभिकल्प अतिरिक्तता तथा विविधता के संरक्षा सिद्धांतों को अपनाते हुए किया जाता है. परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद (एईआरबी) की संहिताओं और संदर्शिकाओं के अनुरूप गहन संरक्षा सिद्धांत का अनुपालन करते हुए ‘विफल संरक्षित (फेल सेफ)’ विशेषताएं उपलब्ध कराई जाती हैं.

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि नाभिकीय विद्युत संयंत्रों का निर्माण उच्चतम गुणवत्ता मानकों के अनुसार किया जाता है. संचालन उच्च योग्यता प्राप्त, प्रशिक्षित और लाइसेंस प्राप्त कर्मियों द्वारा सुस्थापित प्रक्रियाओं को अपनाते हुए किया जाता है. कई स्तरों पर संरक्षा समीक्षा की एक मजबूत नियामक क्रियाविधि है. नाभिकीय विद्युत संयंत्रों की संरक्षा की एईआरबी द्वारा निरंतर निगरानी और समीक्षा की जाती है. परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद (एईआरबी) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप एक विस्तृत आपातकालीन तैयारी योजना लागू की जाती है.

यह योजना नाभिकीय विद्युत संयंत्र स्थलों पर उनके संचालन आरम्भ होने से पहले लागू की जाती है. नाभिकीय विद्युत संयंत्रों (एनपीपी) में स्थापित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की पर्यावरणीय सर्वेक्षण प्रयोगशालाएं (ईएसएल) नियमित रूप से एनपीपी स्थलों के आसपास विभिन्न पर्यावरणीय मैट्रिक्स की निगरानी करती हैं. परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद द्वारा निर्धारित नियामक सीमाओं के अनुपालन का निरूपण करती हैं. ये प्रयोगशालाएं इस प्रकार से नाभिकीय विद्युत संयंत्रों का संरक्षित प्रचालन सुनिश्चित करती हैं.

केंद्र सरकार के मुताबिक विकिरण मूल्यांकन के लिए निर्धारित पद्धति आईएईए द्वारा संस्तुत अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप है. सरकार का मानना है कि संरक्षा स्थिर नहीं है और नाभिकीय विद्युत संयंत्रों में सुधार या उन्नयन विकसित वैश्विक मानकों, घटनाओं और संचालन अनुभव से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर किए जाते हैं.

जीसीबी/एबीएम