बिहार के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर, जहां भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं भगवान भास्कर

New Delhi, 26 अक्टूबर . देशभर में लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया जा रहा है. छठ महापर्व में भगवान सूर्य की आराधना की जाती है. बिहार ऐसी जगह है, जहां सबसे ज्यादा सूर्य मंदिर हैं.

छठ के मौके पर भगवान सूर्य की उपासना की जाती है. आज हम बिहार के प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों की जानकारी लेकर आए हैं.

बिहार के औरंगाबाद में देव सूर्य मंदिर है, जहां छठ पर भगवान सूर्य के दर्शन के लिए भक्त उमड़ते हैं. यह मंदिर अपनी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है. आमतौर पर सूर्य मंदिर पूर्वाभिमुख होते हैं, लेकिन यह मंदिर पश्चिमाभिमुख है. छठ पूजा के लिए पश्चिममुखी मंदिरों को शुभ माना जाता है क्योंकि शाम के अर्घ्य के समय सूर्य की किरणें सीधे मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं, जो पूजा के लिए शुभ माना जाता है.

किंवदंतियों की मानें तो पहले मंदिर पूर्वाभिमुख था, लेकिन जब मंदिर पर औरंगजेब ने हमला किया तो मंदिर ने खुद अपने मुख्य द्वार की स्थिति को बदलते हुए पश्चिम की तरफ कर दिया. माना जाता है कि भक्तों की भक्ति की वजह से ही यह संभव हुआ था.

Patna के मसौढ़ी में मणीचक सूर्य मंदिर है. इस मंदिर में भगवान सूर्य और नारायण एक साथ विराजमान हैं. माना जाता है कि जो भी भक्त मंदिर में सच्चे मन से आराधना करता है, उसके जीवन की सभी बाधाएं मिट जाती हैं और कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है.

पौराणिक कथाओं की मानें तो रामखेलावन सिंह नाम के व्यक्ति को खेत में श्री विष्णु की काली प्रतिमा मिली थी. प्रतिमा की स्थापना गांव के लोगों ने मिलकर की और उसकी पूजा करने लगे, फिर तारेगना निवासी विश्राम सिंह ने इसी मंदिर में संतान की मन्नत मांगी और मन्नत पूरी होने के बाद वहां बड़े तालाब का निर्माण कराया. इस तालाब में सूर्य की उपासना की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है.

बिहार के औरंगाबाद में एक और सूर्य मंदिर है, जिसका नाम है उमगा सूर्य मंदिर. माना जाता है कि यह बिहार का सबसे पुराना और पहला मंदिर है, जहां से भगवान सूर्य की उपासना की शुरुआत की गई. मंदिर बीच पहाड़ियों में बसा है. मंदिर में भगवान गणेश, सूर्य और भगवान शिव की पूजा की जाती है. यह मंदिर भी पश्चिमाभिमुख है, जिसकी वजह से उसकी मान्यता ज्यादा है.

बिहार में महिषी प्रखंड में कंदाहा सूर्य मंदिर है. इस मंदिर में भगवान सूर्य की दुर्लभ प्रतिमा बनी है, जो विश्व के किसी अन्य मंदिर में नहीं है. इस मंदिर में सूर्य भगवान सात घोड़ों के रथ पर सवार हैं. माना जाता है कि मंदिर का इतिहास भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब से जुड़ा है, जिन्होंने यहां सूर्य भगवान की आराधना की थी. मंदिर में भगवान सूर्य अपनी पत्नियों के साथ विराजमान हैं.

बिहार के गया में दक्षिणार्क सूर्य मंदिर है, जिसका उल्लेख हिंदू धर्मग्रंथ वायु पुराण में भी किया गया है. माना जाता है कि जो भी इस मंदिर में सूर्य की आराधना कर अपने पूर्वजों का पिंडदान करता है, वह जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है.

पीएस/एबीएम