मशहूर मलयालम अभिनेता शानवास का निधन, फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर

चेन्नई, 5 अगस्त . साउथ फिल्म इंडस्ट्री से एक दुखद खबर सामने आई है. जाने-माने मलयालम अभिनेता और सुपरस्टार प्रेम नजीर के बेटे शानवास का निधन हो गया है. वह काफी समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे. Monday देर रात उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए. उन्होंने 71 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. उनके निधन से मलयालम सिनेमा में शोक की लहर दौड़ गई है. प्रशंसक और फिल्म जगत से जुड़े लोग उन्हें याद कर रहे हैं.

शानवास का जन्म एक फिल्मी परिवार में हुआ था. उनके पिता प्रेम नजीर मलयालम सिनेमा के सबसे बड़े सितारों में से एक माने जाते थे. शानवास ने अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए फिल्मों में कदम रखा और खुद को एक अच्छे अभिनेता के रूप में साबित किया. उन्होंने 1981 में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत फिल्म ‘प्रेमगीथंगल’ से की, जिसमें उन्होंने ‘अजित’ की भूमिका निभाई थी. इसके बाद उन्होंने लगातार कई फिल्मों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. 1982 में उन्होंने ‘आशा’ में ‘बोबन’ का किरदार निभाया और उसी साल ‘कोरिथारिचा नाल’, ‘माइलानजी’, ‘गानम’, ‘इवान ओरु सिम्हम’, और ‘इरत्तिमधुरम’ जैसी फिल्मों में भी अभिनय किया. 1983 में ‘आधिपत्यम’, ‘रथिलायम’, ‘न्यायमूर्ति राजा’, ‘माझा नीलावु’, ‘ई युगम’, ‘नमस्ते मैडम’, ‘प्रथिंज’, ‘प्रसन्नम गुरुतारम’, ‘मनियारा’ और ‘मौन रागम’ जैसी फिल्मों में उनकी सक्रियता रही.

1984 में ‘अम्मे नारायण’, ‘कदमत्तथाचन’, ‘निंगालिल ओरु स्त्री’, ‘उमानिलयम’ और ‘वेलिचामिल्लाथा वीधी’ जैसी फिल्मों में उन्होंने काम किया. 1985 में ‘उयिरथेझुननेलप्पु’, ‘Chief Minister ’, ‘शांतम भीकाराम’, ‘ओरिक्कल ओरिडाथु’, ‘आझी’, ‘ओन्नम प्रथी ओलिविल’ जैसी फिल्मों में उनका अभिनय देखा गया. 1986 में ‘भगवान’ और 1987 में तमिल फिल्म ‘जाठी पुक्कल’ के साथ-साथ ‘एल्लावार्ककुम नानमकल’ और ‘मंगल्याचारथु’ में भी वे नजर आए.

1988 में उनकी चर्चित फिल्म ‘चित्रम’ आई जिसमें उन्होंने ‘रवि’ का किरदार निभाया. 1989 में ‘लाल अमेरिकायिल’, ‘जीवितम ओरु रागम’, ‘महाराजवु’, और तमिल फिल्म ‘ईनम थेट्टथा कट्टारु’ में उन्होंने काम किया. 1990 में ‘रागम श्री रागम’, ‘अर्हथ’ और ‘मध्य’ आई. 1991 में वे ‘वेंदुम ओरु अध्यारात्रि’, ‘नीलागिरी’ (शेखर), ‘कौमारा स्वप्नंगल’ और ‘इंस्पेक्टर बलराम’ जैसी फिल्मों में दिखे.

इसके बाद उन्होंने कुछ वर्षों का ब्रेक लिया और 2003 में ‘कलियोदम’ के साथ वापसी की. इसके बाद वह ‘नम्मल थम्मिल’, ‘ओरिडाथोरू डाकिया’, ‘कन्याकुमारी एक्सप्रेस’, ‘चाइना टाउन’, ‘वीरपुत्रन’, ‘गुड़िया’, ‘रेबेका उथुप किजहक्केमाला’, ‘कुंभसरम’, ‘कुप्पीवाला’ और ‘जन गण मन’ जैसी कई फिल्मों का हिस्सा रहे.

उन्होंने अपने करियर में करीब 96 फिल्मों में काम किया और दर्शकों को अपनी सादगी भरी अदाकारी से प्रभावित किया.

पीके/केआर