विदेश मंत्री जयशंकर ने अयोध्या से जुड़े कोरियाई शहर के मेयर से मुलाकात की

सोल, 6 मार्च . विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को दक्षिण कोरिया के गिम्हे शहर के मेयर होंग ताए-योंग से मुलाकात की और साझा सांस्कृतिक विरासत तथा लोगों के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों के बारे में बात की.

विदेश मंत्री बुधवार को 10वें भारत-दक्षिण कोरिया संयुक्त आयोग की बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करने के बाद ताए-योंग से मिले. जयशंकर ने उन्हें अयोध्या के राम मंदिर की प्रतिकृति भी भेंट की.

मंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया, “आज मेयर होंग ताए-योंग से मिलकर खुशी हुई. गिम्हे-अयोध्या संपर्क हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत और लंबे समय से लोगों के बीच संबंधों का प्रमाण है. गिम्हे शहर के साथ अधिक सांस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग पर चर्चा हुई.”

अयोध्या और गिम्हे ने मार्च 2001 में सांस्कृतिक और पारस्परिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय “सिस्टर सिटी” बांड पर हस्ताक्षर किए और अयोध्या में क्वीन हियो मेमोरियल पार्क की स्थापना की.

किंवदंती है कि रानी हियो ह्वांग-ओक, जिन्हें भारत में सुरीरत्ना के नाम से जाना जाता है, दक्षिण कोरिया जाने से पहले अयोध्या की राजकुमारी थीं. उन्होंने 48 ईस्वी में कारक कबीले के राजा किम सुरो से शादी की थी.

उत्तर प्रदेश पर्यटन की वेबसाइट के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि वह एक नाव पर कोरिया पहुंची थीं, और ग्युमगवान गया के राजा सुरो की पहली रानी थीं.

वेबसाइट के अनुसार, कारक कबीले के लगभग 60 लाख लोग अयोध्या को अपना ननिहाल मानते हैं और सैकड़ों दक्षिण कोरियाई हर साल महान रानी को सम्मान देने के लिए स्मारक पर जाते हैं.

दक्षिण कोरिया में 2019 में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजकुमारी सुरीरत्ना की कथा सुनाई और कहा कि भारतीयों का “कोरियाई लोगों के साथ खून का रिश्ता है”.

इस साल जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह के लिए दक्षिण कोरिया की रानी हियो राजवंश की सदस्य किम चिल-सु को भी निमंत्रण दिया गया था.

दोनों देशों के लिए अयोध्या के महत्व पर प्रकाश डालते हुए भारत में दक्षिण कोरिया के राजदूत चांग जे-बोक ने पिछले साल कहा था: “दो हजार साल पहले एक भारतीय राजकुमारी की कोरियाई राजा से शादी की किंवदंती का अयोध्या से संबंध है. हमारी इतिहास की एक किताब में अयुता की एक राजकुमारी का उल्लेख. आमतौर पर यह माना जाता है कि अयुता अयोध्या थी या अयोध्या अयुता थी.”

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