मिदनापुर, 22 जनवरी . पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर जिले में सरकारी अस्पताल में 12 डॉक्टरों के निलंबन का मुद्दा गरमाता जा रहा है. इस मामले को लेकर बुधवार को मिदनापुर के जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया गया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई, जिससे जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय के बाहर अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हो गई.
दरअसल, अस्पताल में कथित तौर पर एक्सपायर हो चुके रिंगर लैक्टेट दिए जाने से एक महिला और एक नवजात की मौत के बाद 12 डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया था. इसी के चलते मिदनापुर में जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया गया.
सीपीआई (एम) की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) की राज्य सचिव मीनाक्षी मुखर्जी ने से बातचीत में कहा कि आज हमने डीएम कार्यालय का घेराव किया है. हमारी यही मांग है कि महिला और नवजात को किन लोगों ने दवा थी, इसकी जांच होनी चाहिए, क्योंकि दवा में फंगस मिला था. सभी लोग इस बात को समझ रहे हैं और हमारी मांग है कि जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाए.
बता दें कि महिला मामोनी रुइदास की मौत 10 जनवरी को हुई थी. इसके बाद नवजात की मौत हो गई थी.
इसके बाद अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक-सह-उप-प्रधान और रेजिडेंट चिकित्सा अधिकारी समेत 12 डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया था.
12 डॉक्टरों को निलंबित करने और पश्चिम बंगा फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड को क्लीन चिट देने के फैसले की घोषणा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने की थी. उन्होंने तर्क दिया कि रिंगर लैक्टेट के इस्तेमाल की बजाय उक्त अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही इसके लिए अधिक जिम्मेदार है.
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