New Delhi, 29 जुलाई . दिल्ली-एनसीआर के लिए एक्सरसाइज ‘सुरक्षा चक्र’ की शुरुआत की गई है. यह एक तीन दिवसीय एकीकृत आपदा प्रबंधन संगोष्ठी और मॉक एक्सरसाइज है. विशेष रूप से यह अभ्यास भूकंप और औद्योगिक रासायनिक खतरों से निपटने की तैयारी पर केंद्रित है. सैन्य बलों व अन्य संगठनों की मदद से किया जा रहा यह अभ्यास दिल्ली के 11, हरियाणा के 5 और उत्तर प्रदेश के 2 जिलों समेत कुल 18 जिलों को कवर करेगा.
यह एनसीआर में अपनी तरह की पहली पहल है और इसे देश के सबसे घनी आबादी वाले और जटिल शहरी क्षेत्रों में लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. रक्षा मंत्रालय ने बताया कि दिल्ली कैंट स्थित मानेकशॉ सेंटर में Tuesday से ‘एक्सरसाइज सुरक्षा चक्र’ नामक तीन दिवसीय एकीकृत आपदा प्रबंधन संगोष्ठी और मॉक एक्सरसाइज का आयोजन शुरू हुआ. यह अभ्यास मुख्यालय दिल्ली एरिया द्वारा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) तथा दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (एसडीएमए) के समन्वय से आयोजित किया जा रहा है.
इस अभ्यास का उद्देश्य आपदा प्रबंधन की योजना रूपरेखाओं को परखना, विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल को मजबूत करना और व्यापक गवर्नमेंट अप्रोच के तहत संयुक्त प्रतिक्रिया को सशक्त बनाना है. विशेष रूप से यह अभ्यास भूकंप और औद्योगिक रासायनिक खतरों से निपटने की तैयारी पर केंद्रित है. कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में राजेंद्र सिंह, प्रमुख, एनडीएमए, लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार, जीओसी-इन-सी, वेस्टर्न कमांड शामिल रहे.
उन्होंने आपदा-प्रवण क्षेत्रों की पहचान, जोखिम मूल्यांकन, और संसाधनों की अग्रिम तैनाती की आवश्यकता को रेखांकित किया. इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल भावनिश कुमार, जीओसी, दिल्ली एरिया, ने क्षेत्र की आपदा आशंकाओं पर विस्तृत प्रस्तुति दी और बताया कि कैसे विभिन्न एजेंसियां उनके समाधान हेतु कार्य कर रही हैं. कार्यक्रम के दौरान एनडीआरएफ और विभिन्न निजी विक्रेताओं द्वारा अत्याधुनिक राहत और बचाव उपकरणों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई.
इस तीन दिवसीय आयोजन में एक टेबल टॉप अभ्यास और 01 अगस्त 2025 को एक वास्तविक आपदा स्थिति आधारित मॉक ड्रिल भी आयोजित की जाएगी जिसमें सभी एजेंसियों की भागीदारी रहेगी. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह संगोष्ठी आपदा प्रबंधन में संयुक्त तंत्रों को संस्थागत रूप देने की दिशा में एक निर्णायक कदम है. यह अभ्यास जमीनी अनुभव को रणनीतिक योजना से जोड़ते हुए भारत को आपदा-प्रतिक्रिया के क्षेत्र में अधिक सक्षम और लचीला बनाएगा, जिससे प्रभाव को न्यूनतम कर पुनर्प्राप्ति की प्रक्रिया को तेज किया जा सकेगा.
–
जीसीबी/एएस