नई दिल्ली. एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी के जीत के दो महीने से अधिक हो चुका है, लेकिन दिल्ली को मनोनीत पार्षदों के द्वारा स्थाई समिति में वोट करने के अधिकार को लेकर डर है इसलिए अब भी नए मेयर का इंतजार है.
आम आदमी पार्टी स्थाई समिति में मनोनीत निगम पार्षदों को वोट डालने की बात को लेकर भाजपा पार्षदों से किसी ने किसी बहाने तकरार करती है और इस पर हंगामे की वजह से तीन बार से दिल्ली को मेयर नहीं मिल रहा है. मेयर चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी के सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि एमसीडी के मेयर चुनाव में मनोनीत निगम पार्षदों को वोट करने का अधिकार नहीं है ऐसा एमसीडी एक्ट में साफ प्रावधान हैं.
पर सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं कहा कि एमसीडी के स्थाई समिति के अध्यक्ष के चुनाव में मनोनीत पार्षदों को वोटिंग का अधिकार नहीं है. ज्ञात हो कि अभी तक मनोनीत पार्षद मेयर चुनाव में तो नहीं पर स्थाई समिति व जोनल चुनाव में मनोनीत पार्षद वोटिंग करते है, ऐसा प्रावधान में भी है. अब सुप्रीम कोर्ट के 17 सुनवाई के दौरान भाजपा की मेयर उम्मीदवार रेखा गुप्ता व पीठासीन अधिकारी यही जानकारी कोर्ट को देगी. इसके बाद तय होगा कि मनोनीत पार्षदों को स्थाई समिति के अध्यक्ष व जाेनों में चेयरमैन के चुनाव में वोट करने का अधिकार होगा या नहीं, इसी के बाद केजरीवाल का टेंशन दूर होगा.
बता दें कि भाजपा के हाइकमान यह जानते हैं कि मेयर के चुनाव में बहुमत व इसके अलावा 14विधायक, 3 राज्य सभा सांसद आम आदमी पार्टी के पक्ष में होने के कारण मेयर की कुर्सी मिलना असंभव है. पर भाजपा आम आदमी पार्टी को मेयर के चुनाव में ताकतवर उम्मीदवार खड़ा कर उलझाते हुए स्थाई समिति के चुनाव से दूर रखने का प्रयास किया है.
