100 प्रतिशत देकर भी जीत पक्की नहीं मान सकते, मैं मजबूत होकर वापसी करूंगा: अर्जुन बाबूता

पेरिस, 29 जुलाई . भारतीय निशानेबाज अर्जुन बाबूता सोमवार को पेरिस ओलंपिक में पुरुषों के 10 मीटर एयर राइफल फाइनल में कांस्य पदक से चूक गए. वह 208.4 का स्कोर हासिल करते हुए चौथे स्थान पर रहे. 25 साल के अर्जुन अधिकतर समय पदक की रेस में बने हुए थे, लेकिन उन्होंने अपने अंतिम प्रयास में 9.5 का स्कोर किया और पदक की दौड़ से 1.4 अंक पीछे रह गए.

अर्जुन बाबूता ने पदक के इतना करीब आकर चूकने पर कहा कि, निश्चित रूप से निराशा है, भाग्य मेरे साथ नहीं था.

उन्होंने पेरिस ओलंपिक से मिली सीख पर कहा कि, एक दिन मेरी शूटिंग को परिभाषित नहीं कर सकता है. मुझे यही सीख मिली है कि अपना 100 प्रतिशत देकर भी आप जीत नहीं सकते हैं. आपके हाथ में अपना सर्वश्रेष्ठ देना है, जो आपको देना होगा.

अर्जुन ने अपने प्रदर्शन पर कहा कि, मुझे गर्व है, क्योंकि जैसी मेहनत कई सालों से हो रही थी, तकनीक, रणनीति सब काम कर रहे थे. एक निर्णायक शॉट काफी चीजें बदल सकता था. उस शॉट को छोड़कर बाकी चीजों के लिए मुझे गर्व है. ओलंपिक में दबाव होता है क्योंकि यह चार साल में आता है और देश की उम्मीद आपसे जुड़ जाती हैं. ओलंपिक में चकाचौंध भी काफी होती है, लेकिन आपको प्रोसेस के साथ रहना होता है और मानसिक तौर पर फाइट करनी होती है.

अर्जुन ने बताया कि भारत के बीजिंग ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट शूटर अभिनव बिंद्रा ने भी उनसे काफी बातें की है. उन्होंने बताया कि अभिनव बिंद्रा ने कहा उनको मेरे प्रदर्शन पर गर्व है. चौथे स्थान पर आकर कुछ दिन बुरा लगेगा, लेकिन इसके बारे में अधिक चिंतित होने का कोई फायदा नहीं है. इस हार को स्वीकार को, यह आगे आपको और मजबूत बनाएगी.

अर्जुन ने भारत में बेहतरीन युवा शूटिंग प्रतिभाओं के उभरने के कारणों पर भी बात की. उन्होंने कहा कि, भारत में बहुत अच्छे निशानेबाज हैं, जिनमें से कुछ पेरिस ओलंपिक का हिस्सा भी नहीं हैं. अच्छे शूटर होने का कारण है कि निशानेबाजों के पास अच्छे उपकरण, जानकारी, तकनीक, रणनीति हैं, वह और भी बेहतर कर सकते हैं.

उन्होंने भारत में ओलंपिक की मेजबानी पर कहा कि, खिलाड़ियों पर फोकस करना और ओलंपिक की मेजबानी करने पर, एक साथ ध्यान दिया जा सकता है. जिस तरह से ‘स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया’ और ‘एनआरएआई’ ने खिलाड़ियों के लिए काम किया है, यह बड़ी बात है. उन्होंने खिलाड़ियों की सभी जरूरतों का ध्यान रखा है. भारत के लिए 2036 में ओलंपिक की मेजबानी करना अच्छा होगा.

उन्होंने भविष्य की योजनाओं के बारे में कहा कि पहले उनको आराम करने की जरूरत है. फिर वह अपने खेल का आकलन करेंगे और कमियों पर ध्यान देंगे.

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