तालिबान के नए नैतिकता कानून पर यूरोपीय संघ ने जताई चिंता

ब्रुसेल्स, 27 अगस्त . तालिबान के नए नैतिकता कानून से यूरोपीय संघ स्तब्ध है. उसने अफगानिस्तान में महिलाओं पर लगाए गए प्रतिबंधों की निंदा की है.

तालिबान के नेतृत्व वाली अफगान सरकार ने पिछले सप्ताह ‘सदाचार के संवर्धन और दुराचार की रोकथाम कानून’ के समर्थन की घोषणा की. इसके तहत अफगान मह‍िलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं.

इस कानून में ड्रेस कोड लागू किया गया है. सार्वजनिक स्थानों पर महि‍लाओं को अपने शरीर और चेहरे को ढकने का आदेश दिया गया है. आदेश में यह भी कहा गया है कि सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की आवाज नहीं सुनी जानी चाहिए.

यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा, “यह कानून कानूनी दायित्वों और संधियों का उल्लंघन करता है. इस कानून में अफगान लोगों के अधिकारों को कमजोर क‍िया गया है.”

यूरोपीय संघ ने कहा कि वह अफगानिस्तान की महिलाओं और लड़कियों समेत सभी अफगानियों के ल‍िए खड़ा है.

बोरेल ने कहा, “यह निर्णय अफगान महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को कमजोर करता है, हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते. हम तालिबान से अफगान महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ इन दुर्व्यवहारों को समाप्त करने का आग्रह करते हैं. यह कानून मानवता के ख‍िलाफ है.”

यूरोपीय संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि इस आदेश से ताल‍िबान की अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मान्‍यता की आकांक्षा को भी धक्‍का लगा है.

यूरोपीय संघ ने कहा है क‍ि तालिबान को अफगानिस्तान के नागरिकों व अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रत‍ि अपने दायित्वों का सम्मान करने की आवश्यकता है.”

बता दें कि रव‍िवार को अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) ने भी इस नैतिकता कानून की आलोचना की थी.

महासचिव की विशेष प्रतिनिधि और यूएनएएमए की प्रमुख रोजा ओटुनबायेवा ने कहा, “यह अफगानिस्तान के भविष्य के लिए एक चिंताजनक दृश्य है, जहां नैतिक निरीक्षकों के पास किसी को भी धमकाने और हिरासत में लेने का मनमाना अधिकार है.”

उन्होंने कहा, “इससे अफगान महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर दबाव और बढ़ गया है.”

यूएनएएमए ने कहा कि वह नए कानून और अफगान लोगों पर इसके प्रभाव और संयुक्त राष्ट्र व अन्य महत्वपूर्ण मानवीय सहायता पर इसके संभावित प्रभाव का भी अध्ययन कर रहा है. मामले में अध‍िकार‍ियों से स्‍पष्‍टीकरण मांगा गया है.

आरके/