New Delhi, 29 जुलाई . केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने Tuesday को संसद को बताया कि India में तेल और गैस की खोज में नए सिरे से उछाल आ रहा है, जिसके तहत 2022 में लगभग दस लाख वर्ग किलोमीटर के पूर्व ‘नो-गो’ अपतटीय क्षेत्रों को खोला गया.
Union Minister पुरी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, “इस कदम से विशेष रूप से अंडमान-निकोबार (एएन) अपतटीय बेसिन जैसे गहरे पानी और सीमांत क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अन्वेषण क्षेत्र खुल गए हैं. साथ ही, अपतटीय अन्वेषण गतिविधि में तेजी आई है.”
उन्होंने जानकारी दी कि वर्ष 2015 से India में कार्यरत अन्वेषण और उत्पादन (ईएंडपी) कंपनियों ने 172 हाइड्रोकार्बन क्षेत्र खोजे हैं, जिनमें 62 अपतटीय क्षेत्रों में हैं.
उन्होंने बंगाल-अराकान तलछट प्रणाली के अंतर्गत अंडमान और निकोबार अपतटीय बेसिन के भूवैज्ञानिक महत्व को बताया, जो इस बेसिन के जंक्शन पर स्थित है.
उन्होंने कहा कि भारतीय और बर्मी प्लेटों की सीमा पर स्थित टेक्टोनिक सेटिंग ने कई स्ट्रेटीग्राफिक ट्रैप्स (भूगर्भीय संरचना जो तेल या गैस को रोकती है, जिससे यह एक जलाशय में जमा हो जाता है) का निर्माण किया है, जो हाइड्रोकार्बन संचय के लिए अनुकूल हैं.
Union Minister पुरी ने बताया कि ओएनजीसी ने 20 ब्लॉक में हाइड्रोकार्बन खोजें की हैं, जिनमें अनुमानित 75 मिलियन मीट्रिक टन तेल समतुल्य (एमएमटीओई) भंडार है. ऑयल इंडिया लिमिटेड ने पिछले चार वर्षों में सात तेल और गैस स्रोतों की खोज की है, जिनमें अनुमानित 9.8 मिलियन बैरल तेल और 2,706.3 मिलियन मानक घन मीटर गैस भंडार है.
हाइड्रोकार्बन रिसोर्स असेस्मेंट स्टडी (एचआरएएस) 2017 का उल्लेख करते हुए Union Minister पुरी ने कहा कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की हाइड्रोकार्बन क्षमता 371 एमएमटीओई आंकी गई थी.
उन्होंने कहा कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के अपतटीय क्षेत्र सहित India के अनन्य आर्थिक क्षेत्र के लगभग 80,000 लाइन किलोमीटर को कवर करने वाला एक 2डी ब्रॉडबैंड भूकंपीय सर्वेक्षण 2024 में पूरा हो गया है.
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