मुस्लिम महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति सशक्त करना, समावेशी विकास की दिशा में एक अहम कदम : किरेन रिजिजू

New Delhi, 1 अगस्त . राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा Friday को विज्ञान भवन, New Delhi में ‘भारत में मुस्लिम महिलाओं के अधिकार’ विषय पर एक राष्ट्रीय परामर्श बैठक का भव्य आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में केंद्रीय अल्पसंख्यक एवं संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए.

उन्होंने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि मुस्लिम महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति सशक्त करना, समावेशी विकास की दिशा में एक अहम कदम है.

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण जरूरी है, जब महिलाएं आर्थिक रूप से सम्पन्न होती हैं, तो वे शक्तिशाली भी होती हैं तथा आर्थिक सशक्तिकरण के साथ वे स्वयं ही सामाजिक रूप से भी सशक्त होती हैं. किरेन रिजिजू ने कहा कि वे इस परामर्श बैठक से प्राप्त हुई अनुशंसाओं को आगे बढ़ाने में योगदान देंगे.

इस अवसर पर राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया राहटकर मुख्य रूप से उपस्थित रहीं. उन्होंने कहा कि आयोग मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा और उनके कल्याण के लिए निरंतर प्रयासरत है. उन्होंने इस परामर्श बैठक को मुस्लिम महिलाओं की आवाज नीति-निर्माण तक पहुंचाने का एक सशक्त मंच बताया.

उन्होंने कहा कि यह केवल एक आयोजन नहीं है, यह एक प्रयास है उन आवाज़ों को मंच देने का, जिन्हें लंबे समय तक अनसुना किया गया. यह एक साझा संकल्प है कि अब कोई भी महिला, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि से आती हो, न्याय, सम्मान और मानवाधिकार से वंचित नहीं रहेगी. मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि भारतीय संदर्भ में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की जब हम बात करते हैं, तो केवल कानून की पुस्तकों को खोलना पर्याप्त नहीं होता. हमें समाज के उन बदलते चेहरे को भी देखना होगा, जहां परंपरा और प्रगति के बीच संतुलन बनाना जरूरी है. हमें उस कानूनी ढांचे पर भी चर्चा करनी होगी जिसने संरक्षण दिया और उस सामाजिक परिदृश्य पर भी जो अब परिवर्तन की दहलीज़ पर खड़ा है. हमें यह याद रखना होगा कानून तब तक जीवंत नहीं होते, जब तक वे जनमानस की सोच में न उतरे और सोच तब तक नहीं बदलती जब तक संवाद न हो, जब तक सुनवाई न हो, जब तक मंच न मिले.

कार्यक्रम में ‘नया दौर’ नामक पुस्तक का विमोचन केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा किया गया. यह पुस्तक राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा प्रकाशित की गई है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं से संबंधित अधिकारों, कानूनों एवं कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी समाहित है. परामर्श बैठक में देशभर से वकीलों, शिक्षाविदों, समाजशास्त्रियों, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, नीति-निर्माताओं एवं नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और विचार साझा किए.

तकनीकी सत्रों में पहले सत्र का विषय था, ‘मुस्लिम महिलाओं के लिए केंद्र सरकार की योजनाएं’, जिसमें यह चर्चा हुई कि मुस्लिम महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं कितनी प्रभावी रही हैं और इन्हें जमीनी स्तर पर महिलाओं तक कैसे अधिक पहुंचाया जा सकता है.

दूसरे सत्र में ‘वक्फ अधिनियम, 2025 में संशोधन से संबंधित विशेष प्रावधान’ पर चर्चा की गई. वक्ताओं ने मुस्लिम महिलाओं की वक्फ संपत्तियों तक पहुंच, वक्फ बोर्डों में महिला प्रतिनिधित्व, और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया. तीसरा सत्र “मुस्लिम महिलाओं के अधिकार: भरण-पोषण, संतान की अभिरक्षा, संपत्ति अधिकार एवं परंपराएं” पर केंद्रित था. इस सत्र में मुस्लिम महिलाओं के लिए मौजूद कानूनी प्रावधान, न्यायालयों के दृष्टिकोण और मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत आने वाली चुनौतियों को रेखांकित किया गया.

चौथे और अंतिम सत्र में ‘विवाह और तलाक से संबंधित मुस्लिम महिलाओं के अधिकार’ पर विशेषज्ञों ने विस्तृत चर्चा की. वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि संवैधानिक दृष्टिकोण के साथ-साथ महिलाओं की गरिमा और न्याय सुनिश्चित करना सबसे आवश्यक है.

आयोग द्वारा आयोजित इस परामर्श बैठक के माध्यम से यह सुनिश्चित किया गया कि मुस्लिम महिलाओं की आवाज़ नीतिगत विमर्श का हिस्सा बने और उन्हें समाज में समान अधिकार एवं अवसर प्राप्त हो.

एसके/जीकेटी