महात्मा गांधी नरेगा में रोजगार में बीते 10 वर्षों में हुई 76 प्रतिशत की बढ़ोतरी

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर . महात्मा गांधी नरेगा से वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त 2024-25 (अब तक) के बीच 2,923 करोड़ मानव दिवस के ग्रामीण रोजगार का सृजन हुआ है. यह जानकारी ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से रविवार को दी गई.

सरकारी डेटा के मुताबिक, बीते एक दशक में महात्मा गांधी नरेगा से ग्रामीण रोजगार में 76 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. वित्त वर्ष 2006-07 से वित्त वर्ष 2013-14 में इस योजना के तहत 1,660 करोड़ मानव दिवस का रोजगार सृजित हुआ था.

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (महात्मा गांधी नरेगा) का उद्देश्य देश के ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे ऐसे प्रत्येक परिवार, जिसके 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के सदस्य, अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक हों, उन्हें 100 दिन के रोजगार की गारंटी प्रदान करता है .

महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत श्रमिकों को मजदूरी भुगतान उनके खातों में किया जाता है. मजदूरों को मजदूरी भुगतान उनके आधार नंबर से जुड़े बैंक खाते में होता है.

महात्मा गांधी नरेगा में आधार आधारित भुगतान (एबीपीएस) का प्रमुख लाभ मजदूरों द्वारा बैंक खातों को बार-बार बदलने के कारण भुगतान प्रक्रिया में होने वाले रिजेक्शन को कम करता है. 26 अक्टूबर तक, 13.10 करोड़ सक्रिय श्रमिकों की आधार सीडिंग की जा चुकी है, जो कुल सक्रिय श्रमिकों (13.18 करोड़) का 99.3 प्रतिशत है.

वित्तीय वर्ष 2013-14 के दौरान महात्मा गांधी नरेगा के लिए बजट आवंटन केवल बजट अनुमान चरण में 33,000 करोड़ रुपये था, जबकि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 में 86,000 करोड़ रुपये है, जो योजना प्रारंभ से लेकर अब तक सबसे अधिक है.

सरकार के मुताबिक, महात्मा गांधी नरेगा के तहत जॉब कार्ड सत्यापन एक सतत प्रक्रिया है. यह प्रक्रिया राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा आधार संख्या की सहायता से की जाती है. जॉब कार्डों को उचित सत्यापन के बाद केवल तभी रद्द किया जा सकता है, जब यह जॉब कार्ड फर्जी हो.

मनरेगा सॉफ्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा हटाए गए जॉब कार्डों की कुल संख्या 1.02 करोड़ थी, जबकि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 26 अक्टूबर तक यह 32.28 लाख है.

एबीएस/एबीएम