हैदराबाद, 23 मार्च . गांधीवादी और प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय पासला कृष्ण मूर्ति की बेटी कृष्णा भारती का रविवार को यहां निधन हो गया. वह 92 वर्ष की थीं.
कृष्णा भारती ने संक्षिप्त बीमारी के बाद यहां स्नेहपुरी कॉलोनी स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली.
आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले की रहने वाली, वह स्वतंत्रता सेनानी पासला कृष्ण मूर्ति और अंजा लक्ष्मी की दूसरी बेटी थीं.
कृष्णा भारती गांधीवादी मूल्यों में दृढ़ विश्वास रखती थीं और उन्होंने जीवन भर उन्हीं मूल्यों को बनाए रखा. उन्होंने दलितों के उत्थान के लिए भी प्रयास किया. उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों और गोशालाओं को दान दिया था.
कृष्णा भारती अविवाहित थी. उनके चार भाई और तीन बहनें हैं.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने कृष्णा भारती के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों के शैक्षणिक उत्थान के लिए उनके योगदान को याद किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के भीमावरम में 2022 में स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में कृष्णा भारती के पैर छुए थे.
उस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पासला कृष्ण मूर्ति के अन्य पारिवारिक सदस्यों से भी मुलाकात की.
1900 में पश्चिमी गोदावरी जिले के ताडेपल्लीगुडेम तालुका के पश्चिम विप्पारु गांव में जन्मे पासला कृष्ण मूर्ति 1921 में अपनी पत्नी के साथ कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए.
कृष्णमूर्ति और उनकी पत्नी ने 1932 में भीमावरम उप-कलेक्टर के कार्यालय पर भारतीय ध्वज फहराया था, जिसके लिए उन्हें जेल भी हुई थी.
अंजा लक्ष्मी ने जेल में ही कृष्णा भारती को जन्म दिया था. कृष्णा भारती ने अपने जीवन के पहले 10 महीने जेल में बिताए थे.
कृष्णमूर्ति दंपत्ति ने अपनी पूरी संपत्ति स्वतंत्रता आंदोलन के लिए दान कर दी और नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च) में हिस्सा लिया. जब महात्मा गांधी पश्चिमी गोदावरी जिले के दौरे पर आए तो कृष्णमूर्ति उनके निजी सचिव के रूप में काम कर रहे थे.
इस दम्पति ने विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में भी भाग लिया था और अपने गांवों में दलितों के लिए मकान बनवाए थे.
कृष्णमूर्ति का 1978 में निधन हो गया.
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एकेएस/