राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोपों को चुनाव आयोग ने बताया गैर-जिम्मेदाराना

New Delhi, 1 अगस्त . भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने Lok Sabha में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के उन आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है, जिसमें कांग्रेस नेता ने दावा किया था कि ईसीआई इलेक्शन में भाजपा के साथ मिलकर धांधली कर रहा है.

चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को निराधार बताया और कहा कि वह निष्पक्ष, पारदर्शी और स्वतंत्र तरीके से चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है.

चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा, “हम ऐसे निराधार आरोपों को नजरअंदाज करते हैं और बार-बार की धमकियों के बावजूद सभी चुनाव अधिकारियों से आग्रह करते हैं कि वे इन गैर-जिम्मेदाराना बयानों पर गौर न करें और अपने कर्तव्यों पर ध्यान दें.”

आयोग ने देशभर के मतदान कर्मियों का समर्थन करते हुए उन्हें ‘गैर-जिम्मेदार और राजनीति से प्रेरित’ टिप्पणियों से विचलित न होने का आग्रह किया.

राहुल गांधी ने संसद परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया कि उनके पास चुनावी अनियमितताओं का ‘पक्का सबूत’ है, जिसे उन्होंने ‘एटम बम’ तक बताया.

उन्होंने कहा कि यह सबूत सामने आने पर चुनाव आयोग के पास छिपने की कोई जगह नहीं होगी.

राहुल गांधी ने कहा, “मैंने कहा था कि वोट चोरी हो रही है और अब हमारे पास पक्का सबूत है कि चुनाव आयोग इसमें शामिल है.”

उन्होंने 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2024 के Lok Sabha चुनाव, और महाराष्ट्र में मतदाता सूची संशोधन में अनियमितताओं का आरोप लगाया.

यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के कामकाज पर सवाल उठाए हैं. इस साल जून में कांग्रेस नेता द्वारा लिखे गए एक लेख में महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाया गया था.

तब चुनाव आयोग के सूत्रों ने स्पष्ट किया था कि अगर राहुल गांधी, विपक्ष के नेता के रूप में औपचारिक लिखित शिकायत दर्ज करते हैं, तभी संवैधानिक संस्था आधिकारिक रूप से जवाब देगी.

राहुल गांधी ने अपने लेख में महाराष्ट्र चुनावों में ‘मैच फिक्सिंग’ का आरोप लगाया था और सुझाव दिया था कि भविष्य के चुनावों में, खासकर ‘जहां भाजपा हार रही हो’, ऐसी ही हेरफेर हो सकती है.

उन्होंने महाराष्ट्र में मतदान के आखिरी घंटों के दौरान पोलिंग स्टेशनों के सीसीटीवी फुटेज की मांग की थी, जिसमें प्रक्रिया में अनियमितताओं का दावा किया गया था.

इस मांग के जवाब में चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि मौजूदा नियमों के अनुसार, अगर जरूरत हो तो चुनाव याचिका के मामले में संबंधित हाई कोर्ट द्वारा पोलिंग स्टेशनों के सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा सकती है.

आयोग ने दोहराया कि शिकायतों के समाधान के लिए सभी तंत्र कानूनी और संस्थागत रूप से निर्धारित हैं और ऐसी किसी भी चिंता को कानूनी माध्यम से उठाया जाना चाहिए.

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