पटना, 2 जुलाई . बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयोग के मतदाता पुनरीक्षण के फैसले को लेकर शुरू हुई सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है. विपक्ष जहां इसे लेकर सत्ता पक्ष से लेकर चुनाव आयोग को घेर रहा है और इस कार्य को असंभव बता रहा है, वहीं सत्ता पक्ष चुनाव आयोग के फैसले के साथ है.
इस बीच, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने बुधवार को मतदाता पुनरीक्षण को लेकर फिर से भाजपा को निशाने पर लिया है. उन्होंने चुनाव आयोग को मोहरा बता दिया. उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग सिर्फ मोहरा है, पीछे से भाजपा के इशारे पर सारा खेल हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार डरे हुए हैं कि वे बिहार का चुनाव हार रहे हैं. इसलिए वे मतदाता सूची फिर से बना रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि आठ करोड़ लोगों का 25 दिनों में पुनरीक्षण का कार्य असंभव है, वह भी बाढ़ और बारिश के दिनों में. उन्होंने कहा कि सत्यापन के लिए जो कागजात या प्रमाण पत्र मांगे जा रहे हैं, वह गरीबों के पास उपलब्ध ही नहीं हैं. सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि चार करोड़ से ज्यादा लोग बिहार से बाहर पलायन करते हैं, उनका क्या होगा?
राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हम लोग लगातार चुनाव आयोग से मिलने का समय मांग रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग समय नहीं दे रहा है. यह अन्याय किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की जननी बिहार में ही लोकतंत्र को समाप्त करना चाहते हैं, लेकिन ऐसा बिहार और बिहारी कभी नहीं होने देंगे. इनको करारा जवाब दिया जाएगा.
उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग को सामने आकर जो हमारे सवाल हैं या जो कंफ्यूजन है, उसे दूर करना चाहिए था. इससे पहले भी राजद और कांग्रेस के नेताओं ने मतदाता पुनरीक्षण को साजिश करार दिया था. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा था कि केंद्र में बैठी सरकार भी तब वैध नहीं है, क्योंकि इसी वोटर लिस्ट पर 2024 के लोकसभा चुनाव हुए थे. आज उन्हीं मतदाताओं के पुनरीक्षण के नाम पर उनके अधिकार को छीना जा रहा है, ये कौन सी नीति है? केंद्र के इशारे पर सारी एजेंसियां उनके अनुसार काम कर रही हैं. सरनेम देखकर मतदाताओं के नाम हटाने का कार्य किया जाएगा, क्योंकि केंद्र और नीतीश सरकार की मंशा ठीक नहीं है.
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एमएनपी/डीएससी