पूर्वोत्तर में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग ने की बड़ी तैयारी

आइजोल/इंफाल/शिलांग, 6 अप्रैल . चुनाव आयोग ने आगामी लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए सभी पूर्वोत्तर राज्यों में बड़े पैमाने पर अभियान चलाया है. मिजोरम को छोड़कर, 2019 के संसदीय चुनावों में पूर्वोत्तर राज्यों में मतदान का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 67.40 प्रतिशत से बहुत अधिक था.

चुनाव अधिकारियों के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनाव में मिजोरम में 7.92 लाख मतदाताओं में से 63.13 प्रतिशत ने वोट डाले, जबकि पिछले साल (7 नवंबर) विधानसभा चुनाव में पहाड़ी राज्य में 8.57 लाख मतदाताओं में से 80 प्रतिशत से अधिक ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया.

17वें लोकसभा चुनाव (2019) में, नागालैंड और मणिपुर 83 प्रतिशत मतदान के साथ पूर्वोत्तर राज्यों में शीर्ष पर रहे, इसके बाद असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश लगभग 82 प्रतिशत और मेघालय 71.4 प्रतिशत रहे.

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, पूर्वोत्तर राज्यों के विधानसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत हमेशा लोकसभा चुनावों की तुलना में अधिक होता है.

मिजोरम में, महिलाओं, युवा और पहली बार मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए, चुनाव आयोग ने 19 अप्रैल को मिजोरम की एकमात्र लोकसभा सीट के चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर राज्यव्यापी अभियान चलाया है.

मिजोरम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मधुप व्यास और अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी एच. लियानजेला ने आगामी संसदीय चुनावों में मतदान बढ़ाने के लिए रणनीतियों को अंतिम रूप देने के लिए पिछले दो सप्ताह में विभिन्न हितधारकों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं.

बैठकों में निर्णय लिया गया कि सभी प्रकार के शैक्षणिक संस्थानों, खेल और युवा सेवाओं और समाज कल्याण विभागों को इस कार्य में शामिल किया जाएगा.

इन बैठकों में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के अलावा विभिन्न संगठनों के नेता शामिल हुए. संगठनों में मिज़ोरम उपा पावल, यंग मिज़ो एसोसिएशन, मिज़ोरम यूथ क्रिश्चियन एसोसिएशन, डायोसीज़ कैथोलिक यूथ एसोसिएशन, मिज़ो ज़िरलाई पावल शामिल हैं.

एसएचके/