नई दिल्ली, 1 मार्च . भारतीय निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनावों से पहले स्टार प्रचारकों और उम्मीदवारों को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन कर बचने के पूर्व में अपनाये गये तरीकों से दूर रहने की चेतावनी दी है.
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि वह आचार संहिता के किसी भी अप्रत्यक्ष उल्लंघन का आकलन करेगा.
लोक सभा और चार विधानसभाओं के आम चुनावों के लिए आयोग ने राजनीतिक दलों को जारी एडवाइजरी में कहा, “चुनाव के सभी चरण और भौगोलिक क्षेत्र ‘बार-बार होने वाले’ अपराधों को निर्धारित करने का आधार होंगे.”
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समान अवसर के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, एडवाइजरी में कहा गया है कि यह मानते हुए कि उसका नोटिस उम्मीदवार या स्टार प्रचारक के लिए एक नैतिक निंदा के रूप में काम करेगा, आयोग पिछले कुछ दौर के चुनावों से आत्म-संयमित दृष्टिकोण अपना रहा है.”
हाल ही में हुए चुनावों में राजनीतिक अभियान चर्चा के गिरते स्तर के विभिन्न रुझानों और मामलों को ध्यान में रखते हुए आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से शिष्टाचार बनाए रखने को कहा.
एडवाइजरी में स्वीकार किया गया है कि सूचना प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के उभरते परिदृश्य के कारण 48 घंटे की मौन अवधि की रेखाएँ धुंधली हो गई हैं, जिससे कंटेंट का लगातार प्रसार हो रहा है.
एडवाइजरी में “मतदाताओं की जाति या सांप्रदायिक भावनाओं के आधार पर” कोई अपील न करने की सलाह दी गई है.
इसमें कहा गया है, “राजनीतिक दल और नेता मतदाताओं को गुमराह करने के उद्देश्य से तथ्यात्मक आधार के बिना गलत बयानबाजी नहीं करेंगे. असत्यापित आरोपों या विकृतियों के आधार पर अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना से बचा जाएगा.”
चुनाव निकाय ने पार्टियों और नेताओं को “प्रतिद्वंद्वियों का अपमान करने के लिए निम्न स्तर के व्यक्तिगत हमले” करने से बचने की भी सलाह दी.
इसमें कहा गया है कि किसी भी पूजा स्थल का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
एडवाइजरी में कहा गया है, “मीडिया में असत्यापित और भ्रामक विज्ञापन नहीं दिए जाने चाहिए. प्रतिद्वंद्वियों की निंदा और अपमान करने वाले सोशल मीडिया पोस्ट या गरिमा से नीचे के पोस्ट साझा नहीं किए जाने चाहिए.”
चुनाव आयोग ने गैर-मौजूद योजनाओं के लिए मतदाताओं को लुभाने के प्रयासों के खिलाफ पार्टियों और नेताओं को चेतावनी भी दी.
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एकेजे/