नई दिल्ली, 1 अप्रैल . राज्यसभा में मंगलवार को एक प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बताया कि देशभर में बनाए गए नए विभिन्न एम्स में फैकल्टी की नियुक्ति के लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं. दिल्ली का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) 1960 के दशक में आया. एम्स दिल्ली को एक इंस्टीट्यूट से इंस्टीट्यूट ऑफ रेप्यूट बनने में 20 वर्ष का समय लगा. 1980 के दशक में इसे यह दर्जा हासिल हुआ.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक लंबी छलांग लगाई गई है और बीते 10 वर्षों में 22 ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की स्थापना हुई है. यदि हम इंफ्रास्ट्रक्चर की दृष्टि से देखें तो यह बहुत बड़ा कदम है.
राज्यसभा को जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि नए एम्स की स्थापना के दौरान भारत सरकार ने प्रयास किया है कि ऐसे स्थान पर इसकी स्थापना की जाए, जहां पहले ज्यादा सुविधाएं नहीं थी. उत्तर भारत और उत्तर पूर्वी भारत के ऐसे कई इलाकों में एम्स शुरू किए गए हैं. इनमें गुवाहाटी, पश्चिम बंगाल, ओडिशा आदि इलाके शामिल हैं. देश के सभी इलाकों को समान रूप से एम्स की सुविधाओं का लाभ मिले, इसे ध्यान में रखते हुए नए एम्स की स्थापना की गई है.
एक प्रश्न के उत्तर में स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बताया कि ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बेहतरीन सिस्टम बनाया है. इसके अंतर्गत फैकल्टी के चयन के लिए प्रत्येक एम्स की अपनी अलग सेलेक्शन कमेटी है.
उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि हमारी वित्त मंत्री ने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को पदों की स्वीकृति में कोई दिक्कत नहीं दी. केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के लिए आवश्यक पदों पर नियुक्ति के लिए इन संस्थाओं को पूरी तरह से सक्षम बनाया है.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एम्स एक ब्रांड है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इस ब्रांड से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होने दे रहा है. सभी एम्स की एक सेलेक्शन कमेटी है और यह साल में कम से कम दो बार बैठक करती है.
उन्होंने बताया कि नर्सिंग के लिए भी केंद्रीय स्तर पर दो बार परीक्षा ली जाती है. इसी तरह ग्रुप बी और सी के पदों को भरने के लिए भी परीक्षा ली जाती है. देशभर के नए एम्स में फैकल्टी की नियुक्ति के लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं.
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जीसीबी/एबीएम