उदयपुर (Udaipur) . भूपाल नोबल्स विश्व विद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के द्वारा विज्ञान विद्यार्थीयो का शैक्षणिक भ्रमण उदयपुर (Udaipur) सौर वैधशाला मे कराया गया. यह शैक्षणिक भ्रमण भौतिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ देवेन्द्र पारीक के निर्देशन मे आयोजीत किया गया इस शैक्षणिक भ्रमण में विज्ञान वर्ग के 27 विद्यार्थी ने भाग लिया तथा साथ में जन संपर्क अधिकारी डॉ कमल सिंह राठौड़ भी थे .
इस शैक्षणिक भ्रमण के दौरान सबसे पहले फतहसागर झील में भारत का सबसे बड़ा टेलिस्कोप मल्टीएप्लीकेशन सोलर टेलीस्कोप स्थित है. जिसके द्वारा सूर्य का वैज्ञानीक अध्ययन किया जा रहा है. इस टेलिस्कोप का व्यास (50 सेमी) है. जिसके द्वारा सूर्य का सुक्ष्म से सूक्ष्म वैज्ञानीक अध्ययन कर पाना सम्भव हो रहा है. इस टेलिस्कोप के माध्यम से सुरज की सतह पर उपस्थित सूर्य के धब्बे, सूर्य का चुम्बकिय क्षेत्र, सूर्य से प्राप्त स्पेक्ट्रम रेखाओं का अध्ययन किया जा रहा है. फतहसागर झील में उपस्थित इस टेलिस्कोप के बारे में विस्तार पूर्वक वहा उपस्थित वैज्ञानीको ने विस्तृत रूप से तथा सरल भाषा में विस्तृत रूप से विधार्थियो को समझाया .
उसके बाद विद्यार्थियों को बड़ी रोड स्थित उदयपुर (Udaipur) सौर वैद्यशाला में उपस्थित गोंग उपकरण(ग्लोबल ओसीलेशन नेटवर्क ग्रुप टेलीस्कोप) को दिखाया गया. गोंग के प्रभारी तथा वैज्ञानीक डॉ. ब्रजेश कुमार ने अत्यन्त सरल भाषा मे गोंग के बारे में समझाया की यह एक उपलब्धि है की संसार मे छः गोंग अकरण उपस्थित है उनमें से एक उदयपुर (Udaipur) सौर वैधशाला में उपस्थित है.
तीन ऐसे उपकरण उत्तरी गोलार्ध मे तथा तीन ऐसे उपकरण दक्षिणी गोलार्ध मे स्थित है . इस प्रकार से निरन्तर सूर्य का अध्ययन किया जा रहा है, और विस्तृत रूप से सौलर भौतिकी को समझाया जा रहा है. आकड़ो का विस्लेषण किया जा रहा है. और वैज्ञानीक निष्कर्ष को प्रस्तुत कर रहे हैं इस प्रकार से उदयपुर (Udaipur) सौर वैध- शाला एक ऐसा रिसर्च सेंटर है जहा पर विज्ञान वर्ग के विद्यार्थी अपना भविष्य सौर भौतिकी में बना सकते हैं. डॉ. रेणु राठौड़ विज्ञान अधिष्ठाता के अनुसार उदयपुर (Udaipur) के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है. सभी विद्यार्थियों ने सूर्य के बारे मे जानकारी प्राप्त कर खुश हुए. तथा डॉ ऋतु तोमर ने कहा की इससे निश्चित रूप से रिसर्च के लिए छात्रों मे रुजान बढ़ेगा.