शिक्षण संस्थान केवल अक्षर ज्ञान का माध्यम नहीं, बल्कि बालक के सर्वांगीण विकास की आधारशिला है : मुख्यमंत्री योगी

बस्ती, 9 सितंबर . उत्तर प्रदेश के Chief Minister योगी आदित्यनाथ ने Tuesday को सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बसहवा का भूमि पूजन, शिलान्यास, पौधरोपण व पुस्तक का विमोचन किया. उन्होंने कहा कि आजादी के पांच साल के बाद जब तत्कालीन सरकारें इस दिशा में प्रयास नहीं कर पाईं, तब नाना जी ने गोरखपुर से इस प्रयास को बढ़ाया था. उसके पीछे का ध्येय था कि भारत, भारतीयता, परंपरा, संस्कृति और मातृभाव से ओतप्रोत ऐसे शिक्षण संस्थान की स्थापना आवश्यक है, जो देश को फिर से विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने में योगदान दे सके. इसकी शुरुआत शिक्षा के मंदिरों से ही होती है.

उन्होंने कहा, “शिक्षण संस्थान केवल अक्षर ज्ञान के माध्यम ही नहीं, बल्कि बालक के सर्वांगीण विकास की आधारशिला हैं. शिक्षा यदि संस्कार, मूल्यों-आदर्शों, मातृभूमि, महापुरुषों, राष्ट्रीयता के प्रति समर्पण का भाव पैदा नहीं कर पा रही है तो वह कुशिक्षा और भटकाव है. आजादी के तत्काल बाद उसका समाधान सरस्वती शिशु मंदिर से प्रारंभ हुआ.”

आरएसएस के तत्कालीन प्रचारक नानाजी देशमुख के नेतृत्व में सरस्वती शिशु मंदिर की पहली शाखा गोरखपुर में स्थापित की गई थी. विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान के मातृभूमि होने का सौभाग्य गोरक्ष प्रांत को प्राप्त है. विद्या भारती के अंतर्गत संचालित हजारों शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान राष्ट्र निर्माण के जिस अभियान के साथ जुड़े हैं, उसकी ताकत देश-दुनिया समझती है.

सीएम योगी ने कहा कि पाठ्यक्रम सरकार तैयार करती है. सरकार सहयोग करे या न करे. बिना सरकार की सहायता के अपने दम और स्वयंसेवकों के सहयोग से भारतीयता के प्रति अनुराग रखने वाले नागरिकों के माध्यम से सरस्वती शिशु मंदिर ने इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया. गोरखपुर के पक्कीबाग में जब पहला सरस्वती शिशु मंदिर स्थापित हुआ तो उस समय मात्र पांच छात्र थे, लेकिन आज शिशु मंदिर के 12 हजार विद्यालय हैं. यह संस्थान बच्चों के अंदर भारत व भारतीयता के प्रति नागरिक के रूप में कर्तव्यों का बोध कराने और सुयोग्य नागरिक बनाने के लिए राष्ट्रीय दायित्व का ईमानदारी से निर्वहन कर रहा है.

उन्होंने कहा, “सरस्वती शिशु मंदिर से निकले छात्र समाज को नेतृत्व भी दे रहे और मार्गदर्शन भी कर रहे हैं. सीएम योगी ने कहा कि देश के समर्थ, आत्मनिर्भर व शक्तिशाली होने की शुरुआत शिक्षा से होती है. दुनिया में समृद्धि की चर्चा होती है तो पहला पैरामीटर शिक्षा, फिर स्वास्थ्य, उसके बाद कृषि-जल संसाधन, तब कौशल विकास व रोजगार होता है. फिर पर्यावरण को ध्यान में रखकर विकास की बात होती है. यह पैरामीटर तय करते हैं कि समग्र विकास के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे. इस मंशा के साथ जब कोई अभियान बढ़ता है तो वह न केवल देशहित, बल्कि मानवता का मार्ग भी प्रशस्त करता है. आज का कार्यक्रम सुयोग्य नागरिकों को गढ़ने, तलाशने और तराशने का महत्वपूर्ण मंच शुरू करने जा रहा है. इसके माध्यम से भारत के सुयोग्य नागरिक विकसित करने का मंच विकसित हो रहा है.”

सीएम ने कहा कि जब बिना किसी प्लानिंग के कार्य करते हैं तो चूक जाते हैं. हर व्यवस्था, प्रबंधन, सरकार, कॉरपोरेट घराना वर्ष भर की योजना बनाता है, फिर लघु, मध्यम व दीर्घ अवधि के कार्यक्रम तय करता है. इसके माध्यम से आगे के लक्ष्यों को प्राप्त करके हम भी सशक्त होंगे और भावी पीढ़ी और संस्थान को भी समर्थ भी बना पाएंगे. सरकार हर साल बजट प्रस्तुत करती है. इसमें विजन होता है कि एक वर्ष, फिर पांच वर्ष, दस वर्ष, 25 वर्ष की योजना क्या होगी. भारत की आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष पर पीएम मोदी ने आगामी 25 वर्ष की कार्ययोजना तैयार करने को कहा.

सीएम ने कहा कि विरासत का सम्मान करना होगा. हमारे पूर्वजों (1953 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी) ने संकल्प लिया था कि एक देश में दो विधान, दो निशान, दो प्रधान नहीं चलेंगे. कश्मीर में शेष भारत का कानून लागू करने का शंखनाद किया था. उन्हें बलिदान भी देना पड़ा. 1952 में कांग्रेस ने बाबा साहेब के न चाहने के बावजूद जबरन लागू किया, लेकिन पीएम मोदी ने डॉ. मुखर्जी के संकल्प को साकार कर आतंकवाद व भारत विरोधी गतिविधियों-साजिशों को समाप्त करके कश्मीर को भारत के कानून के साथ जोड़ा. 500 वर्ष का इंतजार समाप्त हुआ और अयोध्या में रामललाा के मंदिर का निर्माण हुआ. विपक्षी दल चाहते थे कि यह नहीं होना चाहिए.

सीएम ने कहा कि प्रभु श्रीराम आदर्श व भारतीयता के प्रतीक हैं. जब महर्षि वाल्मीकि ने नारद जी से पूछा कि मुझे कुछ लिखना है, ऐसा कौन सा आदर्श है, तब उन्होंने कहा कि इस धरती पर एक ही चरित्र है, आप श्रीराम पर लिखें. हमें महर्षि वाल्मीकि, प्रभु राम, श्रीकृष्ण की परंपरा पर गौरव की अनुभूति है. भारत और भारतीयता के लिए जिन महापुरुषों व स्वतंत्र भारत में सीमाओं की रक्षा करते हुए जिन्होंने बलिदान दिया, वे सभी हमारे आदर्श हैं. उनका सम्मान और विरासत का संरक्षण करना हर भारतीय का दायित्व है.

विकेटी/एएस