ई़डी ने गुरुग्राम के तीन ठिकानों पर मारी रेड, जरूरी दस्तावेज बरामद

गुरुग्राम, 3 अक्टूबर . Enforcement Directorate (ईडी) के गुरुग्राम जोनल ऑफिस ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत श्रावंथी ग्रुप के प्रमोटर दंडमुडी वेंकटेश्वर राव, श्रावंथी इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड और उसकी ग्रुप कंपनी श्रावंथी एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) से संबंधित गुरुग्राम स्थित 3 आवासीय और वाणिज्यिक परिसरों में तलाशी अभियान चलाया.

हाइथ्रो पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और उसके निदेशकों अमूल गबरानी और अजय कुमार बिश्नोई द्वारा सार्वजनिक धन की हेराफेरी और उसे अपनी संबंधित संस्थाओं और एचपीसीएल की संबंधित संस्थाओं में स्थानांतरित करने के लिए चल रही जांच के संबंध में पीएमएलए 2002 के तहत तलाशी ली गई, जिससे बैंकों को भारी नुकसान हुआ. शिकायतकर्ता बैंकों द्वारा घोषित धोखाधड़ी की लागत वर्ष 2009 से 2015 के दौरान 346.08 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की गई.

ईडी ने सीबीआई द्वारा आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज First Information Report के आधार पर आरोपियों द्वारा आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी और आपराधिक कदाचार के अपराध करने और इस प्रकार स्वयं को गलत लाभ पहुंचाने के आरोप में जांच शुरू की.

ईडी की जांच से पता चला कि श्रावंथी इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड (एसआईपीएल) 2013-15 से 10 करोड़ रुपये से अधिक का कर्जदार है, जिसकी आज तक कोई वसूली नहीं हुई है. इसके अलावा, जांच से पता चला कि वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 के दौरान, एसईपीएल के 18.43 करोड़ रुपए मूल्य के इक्विटी शेयर, जिनका अंकित मूल्य 10 रुपए प्रति शेयर है, जो इसके बैंकरों (क्लास-ए शेयर) के पास थे, अत्यधिक रियायती कीमतों पर, यानी केवल 10 रुपए प्रति शेयर पर, इसके विदेशी निवेशकों को हस्तांतरित किए गए थे.

एसईपीएल द्वारा दोनों वर्षों में 210 करोड़ रुपए से अधिक का सकारात्मक ईबीआईटीडीए दर्ज किए जाने के बावजूद, 0.25 प्रति शेयर की दर से बिक्री की गई.

तलाशी की कार्यवाही के दौरान संपत्ति पंजीकरण विलेख, उपहार विलेख, शेयर खरीद समझौता, बैंकरों और एआरसी के बीच ऋणों के समनुदेशन समझौते, एचपीसीएल और उसकी समूह कंपनियों के साथ पत्राचार, बही खाते, एसईपीएल और उसकी समूह कंपनियों की लेखा पुस्तकें, एचपीसीएल के साथ खरीद आदेश, कार्य आदेश, शेयर मूल्यांकन रिपोर्ट आदि से संबंधित विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज एकत्र किए गए हैं.

डीकेपी/