ईडी ने 96.68 करोड़ रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुधांशु द्विवेदी को किया गिरफ्तार

मुंबई, 3 जून . प्रवर्तन निदेशालय के मुंबई जोनल कार्यालय ने सुधांशु द्विवेदी को धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए एक्ट) के तहत गिरफ्तार किया. उनकी गिरफ्तारी बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में चल रही जांच का हिस्सा है.

हिरासत में लिए जाने के बाद द्विवेदी को मुंबई में पीएमएलए की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत ने न केवल सुधांशु द्विवेदी की गिरफ्तारी को मंजूरी दी, बल्कि 9 जून तक ईडी को रिमांड भी दी.

रिमांड के दौरान जांचकर्ता 96.68 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी मामले में उनकी भूमिका की गहराई से जांच करेंगे और निवेशकों के धन को हड़पने के लिए इस्तेमाल किए गए वित्तीय लेनदेन के नेटवर्क को उजागर करेंगे.

अधिकारी उसके परिचालन की सीमा की जांच जारी रखे हुए हैं, जिसका उद्देश्य गलत तरीके से इस्तेमाल की गई संपत्तियों को वापस प्राप्त करना तथा सभी जिम्मेदार पक्षों को जवाबदेह बनाना है.

यह जांच मुंबई पुलिस द्वारा द्विवेदी और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 और शस्त्र अधिनियम, 1959 की कई धाराओं का हवाला देते हुए दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर शुरू की गई थी. अधिकारियों का आरोप है कि द्विवेदी ने निवेशकों को भारी रिटर्न का वादा करके कमोडिटी ट्रेडिंग स्कीम में फंसाया.

निवेशकों का विश्वास जीतने के लिए उन्होंने शुरुआत में अनाज और अन्य वस्तुओं की आपूर्ति की, जिससे निवेशकों का विश्वास जीत लिया. हालांकि, समय के साथ, उन्होंने डिलीवरी बंद कर दी और इसके बजाय फंड को अपने फायदे के लिए डायवर्ट कर दिया.

जांचकर्ताओं ने एक वित्तीय नेटवर्क का पर्दाफाश किया, जिसमें गलत तरीके से एकत्रित धन को उसके परिवार द्वारा नियंत्रित संस्थाओं में पहुंचाया गया, जिससे वैधता का भ्रम पैदा हुआ.

रिपोर्ट्स के अनुसार द्विवेदी द्वारा रची गई धोखाधड़ी की रकम करीब 96.68 करोड़ रुपए थी. इन अवैध लाभों को छिपाने के लिए, उन्होंने लेन-देन का एक जटिल जाल बिछाया, जिसमें धन को कई फर्मों के माध्यम से भेजा गया ताकि उन्हें उनके अवैध स्रोतों से दूर रखा जा सके.

मामले के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय ने 27 मई को तलाशी अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरूप कई चल संपत्तियों को जब्त और फ्रीज किया गया. इस दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड भी एकत्र किए गए.

पीएसके/एकेजे