गुरुग्राम, 23 जुलाई . प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के गुरुग्राम जोनल ऑफिस ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में रामप्रस्थ प्रमोटर्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (आरपीडीपीएल) के दो निदेशकों (अरविंद वालिया और संदीप यादव) को 21 जुलाई को गिरफ्तार किया. दोनों पर 2,000 से ज्यादा होमबायर्स से 1,100 करोड़ रुपये इकट्ठा करके 14 साल से अधिक समय तक फ्लैट्स और प्लॉट्स का मालिकाना हक न देने का आरोप है.
दोनों को गुरुग्राम की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें 25 जुलाई तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया. ईडी ने दिल्ली की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) और हरियाणा पुलिस द्वारा दर्ज कई First Information Report के आधार पर जांच शुरू की थी. इनमें आरोप था कि आरपीडीपीएल और इसके निदेशकों ने होमबायर्स को तय समय में फ्लैट्स और प्लॉट्स न देकर धोखा दिया.
कंपनी ने 2008-2011 के बीच गुरुग्राम के सेक्टर 37डी, 92 और 95 में प्रोजेक्ट एज, स्काईज, राइज और रामप्रस्थ सिटी जैसे प्रोजेक्ट लॉन्च किए थे, जिनमें 3-4 साल में कब्जा देने का वादा किया गया था. ईडी की जांच में पता चला कि आरपीडीपीएल ने 2,000 से ज्यादा होमबायर्स से लगभग 1,100 करोड़ रुपये इकट्ठा किए.
कंपनी के निदेशकों ने इनमें से 140 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि को प्रोजेक्ट पूरा करने के बजाय अपनी समूह कंपनियों में जमीन खरीदने जैसे कामों में डायवर्ट कर दिया. झूठे वादों और गलत जानकारी देकर कंपनी ने होमबायर्स को ठगा, जिससे उन्हें भारी नुकसान हुआ.
21 जुलाई को ईडी ने दिल्ली और गुरुग्राम में तीन ठिकानों पर तलाशी ली, जिसमें कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल सबूत जब्त किए गए. तलाशी के दौरान 18 लाख रुपये की नकदी और कंपनी के निदेशकों द्वारा निजी इस्तेमाल के लिए रखी गईं छह लग्जरी कारें जब्त की गईं. इसके अलावा, तीन बैंक लॉकर और 34 बैंक खातों में जमा करोड़ों रुपये की राशि को फ्रीज किया गया.
इससे पहले, 11 जुलाई को कंपनी और उसकी सहयोगी कंपनियों की 681.54 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया गया था. ईडी इस मामले में गहन जांच कर रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी में है.
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वीकेयू/जीकेटी