New Delhi, 1 सितंबर . एससीओ समिट में Prime Minister Narendra Modi के भाग लेने से भारत-चीन के संबंधों में नई जान आई है और इससे दोनों देशों के 280 करोड़ लोगों के जीवन स्तर में सुधार आएगा. साथ ही ब्रिक्स देशों के बीच स्थानीय मुद्राओं में व्यापार पर फोकस बढ़ेगा. यह बयान अर्थशास्त्रियों की ओर से Monday को दिया गया.
भारतीय कारोबारी, एचएस पुरी ने कहा कि इस एससीओ समिट में भारत और चीन का ध्यान सुरक्षा से हटकर आपसी आर्थिक विकास पर गया है. इससे दोनों देशों में मौजूद 280 करोड़ लोगों के जीवन स्तर में व्यापक बदलाव आएगा और यह दुनिया के लिए भी अच्छा है.
अर्थशास्त्री मिताली निकोरे ने कहा कि Prime Minister Narendra Modi ने शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एसईओ) में भाग लिया. इस समिट में फोकस किया गया कि कैसे डॉलर से अलग स्थानीय मुद्राओं में व्यापार किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि अमेरिका की सबसे बड़ी टेंशन है कि भारत, रूस और चीन ही नहीं दुनिया के कई बड़े देश डॉलर के बिना स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने पर काम कर रहे हैं.
अर्थशास्त्री योग्रेंद कपूर ने कहा कि भारत, चीन और रूस का एक साथ आना काफी महत्वपूर्ण है. पीपीपी संदर्भ में ब्रिक्स देशों की जीडीपी अमेरिका की जीडीपी से 50 प्रतिशत ज्यादा है, इससे डॉलर और अमेरिका निश्चित असर होगा.
उन्होंने आगे कहा कि भारत, चीन और रूस के बीच बातचीत में स्थानीय करेंसी पर भी फोकस किया गया है. इससे डॉलर पर निर्भरता में कमी आएगी. ब्रिक्स देश इसे लेकर पांच वर्षों से काम कर रहे हैं. इसके परिणाम अब दिखने लगे हैं. मुझे लगता है कि आने वाले 10 वर्षों में ब्रिक्स देशों की करेंसी अमेरिकी डॉलर के आगे एक मजबूत फोर्स होगी.
भारतीय Prime Minister Narendra Modi लगभग सात साल बाद चीन के दौरे पर गए हैं. उनका मुख्य मकसद शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेना है. थ्येनचिन पहुंचने के बाद उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ मुलाकात की. पिछले वर्ष रूस के कजान में भेंट के बाद यह दूसरा मौका है जब दोनों नेता मिले हैं. जानकार कहते हैं कि चीन और भारत के नेताओं ने हाल के दिनों में जिस तरह से सकारात्मक कदम उठाए हैं. ऐसे में द्विपक्षीय रिश्तों के पटरी पर आने की काफी उम्मीद है.
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एबीएस/