झारखंड विधानसभा में पेश हुई आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट, 24-25 में 7.7 फीसदी विकास दर का अनुमान

रांची, 26 फरवरी . झारखंड सरकार ने सोमवार को विधानसभा में वर्ष 2024-25 की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की. इसके मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष में राज्य की आर्थिक विकास दर 7.1 फीसदी रही है. अगले वित्तीय वर्ष 2024-25 में 7.7 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से वृद्धि का अनुमान लगाया गया है.

वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने सदन में रखी गई रिपोर्ट के हवाले से दावा किया कि राज्य का वित्तीय प्रबंधन लगातार बेहतर हुआ है. राजस्व वसूली और खर्च दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है और इसके आंकड़े इस वर्ष पेश किए जाने वाले बजट में दिखेंगे.

रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड की विकास दर देश की विकास दर से अधिक रही है. पिछले तीन वर्षों यानी 2020-21 और 2022-23 के बीच राज्य की जीएसडीपी 8.8 प्रतिशत औसत वार्षिक दर से बढ़ी है. हालांकि, विकास दर में वृद्धि के इस आंकड़े के बावजूद झारखंड में प्रति व्यक्ति आय के मामले में कोई उल्लेखनीय सुधार दर्ज नहीं हुआ है. साल 2000-01 में प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश भर के 28 राज्यों की सूची में झारखंड 26वें स्थान पर था. सिर्फ बिहार और उत्तर प्रदेश ही इससे नीचे थे. वर्ष 2021-22 में भी यह 25वें स्थान पर था. केवल बिहार, उत्तर प्रदेश और मणिपुर ही इस मामले में झारखंड से पीछे थे.

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड की मुद्रास्फीति दर राष्ट्रीय दर से कम रही है. झारखंड में मुद्रास्फीति की औसत दर वर्ष 2022-23 में 6.1 फीसदी थी. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में 2023-24 में अक्टूबर 2023 तक यानी सात महीनों की मुद्रास्फीति दर का जिक्र किया गया है. इसके मुताबिक जुलाई और अगस्त 2023 को छोड़कर बाकी पांच महीनों में मुद्रास्फीति दर 6 फीसदी से कम रही है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य का बजट आकार साल 2011-12 से 2022-23 की अवधि के दौरान 12.1 फीसदी की औसत वार्षिक दर से बढ़ा है. 2023-24 में यह लगभग 1 लाख 16 हजार 418 करोड़ रुपए रहा है. झारखंड को टैक्स से होने वाली कमाई के बारे में रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में टैक्स कलेक्शन वर्ष 2016-17 से 2022-23 के बीच 11.1 फीसदी की औसत वार्षिक दर से बढ़ा है. जबकि, इसी अवधि के बीच राज्य के गैर कर राजस्व में 8.4 फीसदी की औसत वार्षिक दर से वृद्धि दर्ज की गई है.

पिछले तीन वर्षों में राज्य की कुल देनदारी एक लाख करोड़ से अधिक हो गई है. कुल देनदारी का अधिकांश राज्य के सार्वजनिक ऋण का है और बाकी का हिस्सा सार्वजनिक खातों का है.

वित्त मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार कर्ज का भुगतान समय से पहले कर रही है. इससे राज्य के लोगों पर ब्याज के रूप में भुगतान की जाने वाली राशि का बोझ कम हुआ है. रिपोर्ट में बताया गया है कि शिक्षा के स्तर में सुधार दर्ज किया गया है. साल 2017-18 में राज्य की लगभग 72 प्रतिशत आबादी साक्षर थी, लेकिन 2022-23 में साक्षरता दर 79 प्रतिशत हो गई है. महिलाओं की साक्षरता दर 3 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से बढ़ी है.

एसएनसी/एबीएम