नई दिल्ली, 4 दिसंबर . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की निगरानी से बीते 10 वर्षों में काम में तेजी आई है और इससे देश के आर्थिक विकास को सहारा मिला है. यह बयान ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर सौमित्र दत्ता ने समाचार एजेंसी को दिया.
के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में, डीन और प्रोफेसर ने कहा कि प्रगति इकोसिस्टम के कारण जमीन पर क्या हो रहा है, इसकी वास्तविक समय पर बहुत अधिक निगरानी होती है. इसमें प्रधानमंत्री को रियम-टाइम डेटा देने के लिए ड्रोन और सेंसर जैसी टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है.
उन्होंने आगे कहा कि रियल-टाइम डेटा के जरिए प्रधानमंत्री कई बार मीटिंग में भी समस्या का पता लगा लेते हैं. साथ ही वे भारत की भलाई के लिए साथ मिलकर काम करने की भावना को पैदा करने में सक्षम हैं. मुझे लगता है कि यह व्यवहार परिवर्तन का एक रोल मॉडल है, जो बेहद महत्वपूर्ण है.
दत्ता ने बताया कि पहले देश में बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के साथ सबसे बड़ी समस्या उनका समय पर पूरा न होना था, जिसकी वजह से कई बार वे ओवरबजट भी हो जाते थे. प्रगति इकोसिस्टम ने ऐसे सभी प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करने का काम किया है, जो लंबे समय से बंद थे.
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि असम में ब्रह्मपुत्र नदी को लंबे समय से ऐसी नदियों में गिना जाता था, जहां ब्रिज नहीं था. सड़क और रेल लिंक के साथ एक ब्रिज बनाने की परियोजना को पहली बार 2002 में मंजूरी दी गई थी, लेकिन एक दशक बाद भी, परियोजना में वास्तव में कुछ भी नहीं हुआ.
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की “ग्रिडलॉक से ग्रोथ तक- कैसे नेतृत्व ने भारत के प्रगति इकोसिस्टम के जरिए विकास को शक्ति प्रदान की” शीर्षक वाली रिपोर्ट के सह-लेखक दत्ता ने कहा कि इस स्टडी का फोकस था कि नेशनल डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में भारत की प्रगति ने राष्ट्र के विकास को कैसे प्रभावित किया है.
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एबीएस/एबीएम