New Delhi, 15 अक्टूबर . कभी दुनिया की सबसे खतरनाक और प्रभावी जासूसी एजेंसियों में से एक मानी जाने वाली Pakistan की खुफिया एजेंसी आईएसआई अब चरमराती दिख रही है.
Pakistanी सेना विशेष रूप से आईएसआई से नाराज है, क्योंकि वह अफगान तालिबान, तहरीक-ए-तालिबान, Pakistan (टीटीपी) और ऑपरेशन सिंदूर के हमलों के बारे में खुफिया जानकारी देने में विफल रही. सेना प्रमुख, फील्ड मार्शल असीम मुनीर, कथित तौर पर अफगान तालिबान द्वारा Pakistanी सैन्य चौकियों पर कई सफल हमलों के बाद खुफिया एजेंसियों से नाराज हैं.
इस बीच तालिबान ने दावा किया है कि उसने 58 Pakistanी सैनिकों को मार गिराया और कई अन्य को घायल कर दिया. वहीं भारतीय अधिकारियों का कहना है कि इन शर्मनाक घटनाओं ने आईएसआई में बड़े पैमाने पर फेरबदल करने के लिए प्रेरित किया है.
तालिबान और टीटीपी कभी आईएसआई की संपत्ति हुआ करते थे. आज, वे कट्टर दुश्मन हैं, और अधिकारियों का कहना है कि आईएसआई द्वारा पोषित संगठन से हारना शर्मनाक से कम नहीं है.
आईएसआई की एक और नाकामी तहरीक-ए-लब्बैक Pakistan (टीएलपी) का विरोध प्रदर्शन है. टीएलपी और आईएसआई के बीच अच्छे संबंध थे, और एजेंसी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई Government पर दबाव बनाने के लिए इस संगठन का इस्तेमाल करती थी. आईएसआई ने नवाज शरीफ और इमरान खान, दोनों के खिलाफ टीएलपी का इस्तेमाल किया, और दोनों को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी.
आज, टीएलपी सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ हथियार उठा रही है, और यह आईएसआई की एक बड़ी विफलता का संकेत है. कश्मीर के मोर्चे पर भी, आईएसआई हारती दिख रही है. ऑपरेशन सिंदूर ने स्पष्ट रूप से Pakistanी सत्ता प्रतिष्ठान को गहरी नींद में डाल दिया. भारतीय खुफिया एजेंसियों का मानना है कि खुफिया विभाग की यह विफलता मुख्यतः सेना के अत्यधिक हस्तक्षेप, समन्वय की कमी और आपसी कलह के कारण है.
फील्ड मार्शल मुनीर के नेतृत्व में, अब वह आईएसआई को स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति दे रहे हैं. कामकाज से लेकर नियुक्तियों तक, हर चीज पर उनका ही नियंत्रण है. इससे पार्टी के नेताओं में भारी नाराजगी है. इसी वजह से मुनीर ने रावलपिंडी स्थित जनरल हेडक्वार्टर (जीएचक्यू) में एक बैठक बुलाई. इस बैठक में सेना और आईएसआई दोनों के शीर्ष अधिकारी मौजूद थे, जो अफगान तालिबान द्वारा Pakistan की सैन्य चौकियों पर किए गए सफल हमलों के बाद की स्थिति का जायजा लेने के लिए बुलाई गई थी.
मुनीर ने उच्च-स्तरीय बैठक में अपनी नाराज़गी व्यक्त की और अधिकारियों को आगे किसी भी तरह की ढिलाई न बरतने की चेतावनी दी. उन्होंने इस बारे में विस्तृत जवाब भी मांगा कि खुफिया विभाग बार-बार क्यों विफल हो रहा है. फील्ड मार्शल मुनीर ने अफगान तालिबान के खिलाफ योजना की कमी के लिए अपने ही अधिकारियों की खिंचाई की. उन्होंने कहा कि रणनीति की स्पष्ट कमी ही तालिबान के खिलाफ शर्मनाक स्थिति का कारण बनी.
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केके/डीएससी