New Delhi, 28 जुलाई . चीन की ओर से रेयर अर्थ मिनरल के निर्यात पर बैन लगाने के बाद, देश में इन दुर्लभ खनिजों की खोज में राज्यों की सक्रिय भागीदारी काफी उत्साहजनक है. इससे देश में रीजनल आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है. साथ ही देश इन महत्वपूर्ण खनिजों में आत्मनिर्भर बन सकता है. यह जानकारी Monday को जारी हुई एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट में दी गई.
देश में बीते चार वर्षों में रेयर अर्थ मिनरल का औसत आयात 249 मिलियन डॉलर रहा है. वहीं, वित्त वर्ष 25 में यह 291 मिलियन डॉलर था, जो कि चार वर्षों में सबसे अधिक है.
भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांति घोष ने कहा, “हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि बैन से प्रभावित होने वाले सेक्टर्स में परिवहन उपकरण, बेसिक मेटल, मशीनरी, निर्माण और इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं. इससे घरेलू उत्पादन और निर्यात दोनों प्रभावित होंगे.”
क्रिटिकल मिनरल सेक्टर में आत्मनिर्भर होने के उद्देश्य से Government ने 2025-31 की अवधि के लिए 18,000 करोड़ रुपए के कुल आवंटन के साथ एक मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के लिए 2025 में नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (एनसीएमएम) को शुरू किया है.
रिपोर्ट में बताया गया कि क्रिटिकल मिनरल में घरेलू मूल्य-श्रृंखला निर्माण के लिए राज्य Government की भागीदारी आवश्यक होगी. कई राज्यों ने अन्वेषण लाइसेंस (ईएल) की नीलामी के लिए टेंडर जारी कर दिए है.
Odisha Government की इंडस्ट्रियल पॉलिसी रिजॉल्यूशन 2022, इस नीति के तहत रेयर अर्थ मिनरल पर आधारित मूल्यवर्धित उत्पादों को एक प्राथमिकता क्षेत्र के रूप में मान्यता देता है. Odisha Government ने हाई-टेक्नोलॉजी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए गंजम में 8,000 करोड़ रुपए की टाइटेनियम फैसिलिटी को मंजूरी दी है.
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया, “India संसाधन संपन्न देशों में क्रिटिकल मिनरल एसेट्स की खोज और अधिग्रहण में निवेश करेगा. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी कंपनियों को फंडिंग, दिशानिर्देशों और अंतर-मंत्रालयी समन्वय के माध्यम से सहायता प्रदान की जाएगी.”
साथ ही कहा, “क्रिटिकल मिनरल बैंकों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक अवसर हैं, जिसके लिए बैंकों के भीतर विशेष नीतिगत फोकस और रणनीतिक दिशा की आवश्यकता होती है.”
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एबीएस/