दिल्ली में ‘आप’ की हार की वजह ‘मोहल्ला क्लीनिक’, इसकी दुर्दशा ने ‘आप’ का वोट बैंक किया कमजोर !

नई दिल्ली, 8 फरवरी . दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं. यहां भाजपा ने प्रचंड जीत दर्ज की है. 70 विधानसभा सीटों वाले राज्य में भाजपा के हिस्से में 48 सीटें आई हैं. जबकि, 22 सीटों पर आम आदमी पार्टी (आप) को जीत मिली है और कांग्रेस एक बार फिर अपना खाता खोलने में नाकामयाब रही.

दिल्ली चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच चुनावी मुद्दे के रूप में स्वास्थ्य भी शीर्ष पर रहा. जहां भाजपा के लोग अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं से सवाल पूछते हुए नजर आए कि उन्होंने दिल्ली में कितने अस्पताल बनवाए, कितनी अस्पतालों की सेहत में सुधार किया, कितने लोगों को चिकित्सा बीमा का लाभ दिया, दिल्ली के अस्पतालों में लोगों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए क्या व्यवस्थाएं की, दिल्ली के अस्पतालों में लोगों को मुफ्त दवाएं नहीं मिल रही हैं, उसके बारे में क्या किया? वहीं, दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने राज्य में आयुष्मान योजना को लागू क्यों नहीं होने दिया?

आम आदमी पार्टी के नेता इन सवालों के जवाब में दावा करते नजर आए कि उन्होंने यहां ‘मोहल्ला क्लीनिक’ के जरिए लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई. ऐसे में राज्य में आयुष्मान योजना को लागू करने की जरूरत नहीं पड़ी. वे दावा करते दिखे कि यहां बेहतर से बेहतर चिकित्सा सुविधा दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध कराई गई है. ऐसे में लोगों को 5 लाख की बीमा योजना की कोई जरूरत नहीं है.

हालांकि, आम आदमी पार्टी के नेताओं से यह सवाल आम तौर पर किया जाता रहा कि अगर उन्होंने ‘मोहल्ला क्लीनिक’ की व्यवस्था इतनी अच्छी की है तो पार्टी के नेता, मंत्री और उनके परिजन उन ‘मोहल्ला क्लीनिक’ में अपना इलाज कराने के बजाए बड़े-बड़े प्राइवेट अस्पतालों में क्यों जाते हैं? दिल्ली की सीएम आतिशी ने तो यहां तक माना कि वह कभी भी ‘मोहल्ला क्लीनिक’ नहीं गईं. वहीं, ‘मोहल्ला क्लीनिक’ को लेकर यह भी बात सामने आई कि वहां फर्जी तरीके से एक ही मोबाइल नंबर पर कई रोगियों की पर्ची बनाई गई और जांच रिपोर्ट के नाम पर खूब पैसे बहाए गए. ज्यादातर ‘मोहल्ला क्लीनिक’ में रखरखाव और साफ-सफाई व्यवस्था अच्छी नहीं होने का खुलासा हुआ तो कई ‘मोहल्ला क्लीनिक’ में ताले जड़े मिले.

इसके साथ ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने वादा किया था कि पूरी राजधानी में 1,000 ‘मोहल्ला क्लीनिक’ बनाए जाएंगे. लेकिन, इस आंकड़े के आधे पर ही वह पहुंच पाई. वहीं, एक आरटीआई के जरिए इस बात का भी खुलासा हुआ कि ‘मोहल्ला क्लीनिक’ की खराब व्यवस्था की वजह से धीरे-धीरे यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों की संख्या में भी भारी कमी आई. बहुत से ‘मोहल्ला क्लीनिक’ ऐसे भी होने का दावा किया गया, जिनमें आवारा लोगों या जानवरों ने कब्जा जमा रखा है.

‘मोहल्ला क्लीनिक’ में आलू, प्याज और गोभी जैसी सब्जियां रखी जाती हैं. समय बीतने के साथ-साथ इसकी व्यवस्था चरमराती गई. ऐसे में अगर ‘मोहल्ला क्लीनिक’ अच्छा काम कर रहे होते, तो इसकी गूंज चुनाव प्रचार में सुनाई देती. भाजपा के नेताओं और दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की तरफ से मैदान में उतारे गए उम्मीदवारों ने ‘मोहल्ला क्लीनिक’ की चरमराती व्यवस्था को लेकर खूब सवाल किए.

अरविंद केजरीवाल को शिकस्त देने वाले प्रवेश वर्मा ने तो ‘मोहल्ला क्लीनिक’ को ‘हल्ला क्लीनिक’ तक की संज्ञा दे दी. कांग्रेस और भाजपा के नेता ‘मोहल्ला क्लीनिक’ में घोटाले का आरोप ‘आप’ पर लगाते रहे और इसकी जानकारी सार्वजनिक करने की चुनौती देते रहे. दोनों पार्टी के नेता लगातार दावा करते दिखे कि ‘आप’ सरकार की बेहतर सुविधाओं वाले ‘मोहल्ला क्लीनिक’ के दावे केवल कागजों पर मौजूद हैं.

दिल्ली की जनता को अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी की सरकार के ‘मोहल्ला क्लीनिक’ को लेकर किए गए दावे रास नहीं आए और यही वजह रही कि ‘आप’ का वोट बैंक कमजोर हुआ और इसकी वजह से भी ‘आप’ को हार का सामना करना पड़ा.

जीकेटी/