गेस्ट टीचर्स के मुद्दे पर डीयू के शिक्षकों ने लिखा यूजीसी चेयरमैन को पत्र

नई दिल्ली, 23 मार्च . दिल्ली विश्वविद्यालय के कई शिक्षकों ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के चेयरमैन प्रो. एम. जगदीश कुमार को पत्र लिखकर दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और कॉलेजों में पढ़ा रहे करीब चार हजार से अधिक गेस्ट टीचर्स को स्थायी नियुक्तियों के समय वरीयता दिए जाने की मांग की है.

यूजीसी से संपर्क करने वाले शिक्षक संगठन ‘फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस’ ने यूजीसी से मांग की है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार को इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया जाए. इसके जरिए स्थायी नियुक्ति में गेस्ट टीचर्स को वरीयता दिए जाने का निर्देश दिया जाए.

शिक्षक संगठन के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन का कहना है कि जिस प्रकार कॉलेजों में स्थायी नियुक्ति के समय एडहॉक टीचर्स के शिक्षण अनुभव को जोड़ा गया है, उसी तरह से अतिथि शिक्षकों को भी नियुक्ति और प्रमोशन में वरीयता दी जाए.

विश्वविद्यालय की अकादमिक काउंसिल के सदस्य रहे सुमन का कहना है कि स्थायी नियुक्तियों के समय अतिथि शिक्षकों के शिक्षण अनुभव को कोई भी कॉलेज नहीं मानता है, जबकि उनकी योग्यता किसी भी स्तर पर कम नहीं है. उनका यह भी कहना है कि यूजीसी ने 2019 के बाद अतिथि शिक्षकों की नियुक्तियों में स्थायी नियुक्ति की भांति सलेक्शन कमेटी बिठाने संबंधी अधिसूचना जारी की हुई है और उसी के तहत अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है.

यूजीसी चेयरमैन को लिखे पत्र में बताया गया है कि अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में नए नियम एडहॉक टीचर्स से ज्यादा पेचीदा हैं. नए नियमों के अनुसार, अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के समय दो विषय विशेषज्ञ (सब्जेक्ट्स एक्सपर्ट) ऑब्जर्वर, वाइस चांसलर नॉमिनी, विभाग प्रभारी और प्रिंसिपल सलेक्शन कमेटी में बैठते हैं.

वहीं, एडहॉक टीचर्स की नियुक्ति में कॉलेज प्रिंसिपल, विभाग प्रभारी, वरिष्ठ शिक्षक और ऑब्जर्वर ही नियुक्ति करते हैं. उन्होंने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में दो तरह की गेस्ट फैकल्टी है, एक जो प्रिंसिपल के द्वारा नियुक्त होती है, जिसे अधिकतम 25 हजार रुपये दिए जा सकते हैं और दूसरी वह जिनकी नियुक्ति यूजीसी द्वारा जनवरी 2019 के बाद आई अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति संबंधी गाइडलाइंस के तहत की गई है, जिन्हें 50 हजार रुपये तक दिए जा सकते हैं.

गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में दोनों तरह के अतिथि शिक्षक हैं. वहीं, स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) और नॉन कॉलेजिएट वीमेंस एजुकेशन बोर्ड (एनसीवेब) में पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षकों को एक सेमेस्टर में 25 दिन दिए जाते हैं, जिसमें प्रति दिन दो क्लास लेनी पड़ती है. दूसरे सेमेस्टर में भी यही नियम हैं.

शिक्षक संगठन के मुताबिक, इस समय दिल्ली विश्वविद्यालय में चार हजार से अधिक अतिथि शिक्षक हैं जो एसओएल, नॉन कॉलेजिएट वीमेंस बोर्ड और रेगुलर कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं. डॉ. सुमन के अनुसार, नॉन कॉलेजिएट में लगभग 1,350 शिक्षक (26 सेंटर), एसओएल में लगभग 1,500 शिक्षक और रेगुलर कॉलेजों में लगभग 1,300 अतिथि शिक्षक हैं.

जीसीबी/एकेजे