नई दिल्ली, 25 फरवरी . डीआरडीओ ने रविवार को इलेक्ट्रॉनिक्स, लेजर प्रौद्योगिकी, आयुध, जीवन विज्ञान, सामग्री विज्ञान, लड़ाकू वाहन, नौसेना प्रणाली और वैमानिकी के क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (एलएटीओटी) के लिए 22 उद्योगों को 23 लाइसेंसिंग समझौते सौंपे. एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई.
रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि इनमें एलसीए तेजस के लिए कार्बन/कार्बन विमान ब्रेक का निर्माण, 100 मीटर फ्लोटिंग इन्फेंट्री फुट ब्रिज, यूबीजीएल के लिए 40 मिमी उच्च विस्फोटक एंटी-कार्मिक (एचईएपी) ग्रेनेड, एमबीटी अर्जुन के लिए 70टी टैंक ट्रांसपोर्टर का पूरा ट्रेलर, एमके-1ए, व्यययोग्य मोबाइल सोलर-हीटेड शेल्टर, एनएमआर-सुपरकैपेसिटर, एलआरएफ के साथ हाथ से पकड़े जाने वाले थर्मल इमेजर का हथियारीकरण और उच्च दबाव वाली जल धुंध अग्नि दमन प्रणाली शामिल है.
सचिव, रक्षा अनुसंधान एवं विकास और डीआरडीओ अध्यक्ष, डॉ. समीर वी कामत, पुणे में महाराष्ट्र एमएसएमई डिफेंस एक्सपो 2024 के दौरान डीआरडीओ-उद्योग की बैठक में मौजूद थे. उन्होंने कहा कि इससे इन डीआरडीओ प्रौद्योगिकियों पर आधारित उत्पादों को और बढ़ावा मिलेगा व रक्षा विनिर्माण क्षेत्र और रक्षा में आत्मनिर्भरता आएगी.
डीआरडीओ ने एसएएमएआर (सिस्टम फॉर एडवांस मैन्युफैक्चरिंग असेसमेंट एंड रेटिंग) – रक्षा विनिर्माण उद्यमों की योग्यता को मापने के लिए एक बेंचमार्क – नौ उद्योग भागीदारों को प्रमाणपत्र सौंपे.
डॉ. कामत ने उद्योग भागीदारों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना के अनुसार आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए और भारतीय रक्षा उद्योगों के विकास के लिए सभी प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करने की डीआरडीओ की प्रतिबद्धता दोहराई. उन्होंने विस्तार से बताया कि डीआरडीओ उत्पादों की हालिया सफलता ने न केवल देश को रक्षा प्रौद्योगिकी में अधिक आत्मनिर्भर बना दिया है, बल्कि रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में उद्योगों को अपार अवसर भी प्रदान किए हैं.
उन्होंने आगे कहा कि उद्योग अमूल्य भागीदार हैं और यह भारतीय उद्योग के लिए सरकार की नवीनतम पहलों और नीतियों का लाभ उठाने और देश को रक्षा विनिर्माण का केंद्र बनाने का उपयुक्त समय है.
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