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फर्रुखाबाद, 21 जून . ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शाकिर अली मंसूरी ने Saturday को फर्रुखाबाद में मुस्लिम धर्मगुरु बद्रे आलम पर तल्ख टिप्पणी की. उन्होंने बद्रे आलम को मानसिक रूप से बीमार करार देते हुए कहा कि उन्हें इलाज की आवश्यकता है.
डॉ. शाकिर अली ने समाचार एजेंसी से खास बातचीत में धर्मगुरु बद्रे आलम के उस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने योग दिवस और सूर्य नमस्कार को मुसलमानों पर थोपे जाने का आरोप लगाया था.
उन्होंने कहा कि कोई भी मुस्लिम धर्मगुरु इस्लामिक मूवमेंट का ठेकेदार नहीं हो सकता है. जो लोग इस तरह की बातें कर रहे हैं, वह मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं. बद्रे आलम का बयान कट्टरपंथ और समाज को भ्रमित करने की दिशा में है. यह खुराफात है, समाज को बांटने वाला है.
डॉ. शाकिर अली ने कहा कि पीएम मोदी ने कहीं भी यह नहीं कहा है कि नमाज बंद कर दीजिए. उन्होंने बस इतना कहा है कि आप जो योग कर रहे हैं, उसमें योग दिवस के आसनों को भी जोड़ लीजिए. इसमें कोई जाति या धर्म का सवाल ही नहीं उठता. योग दिवस एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन है, धर्म विशेष से इसका कोई लेना-देना नहीं है. मुसलमान दिन में पांच बार नमाज पढ़ते हैं और वही नमाज अपने आप में एक तरह का योग है. जब हम खुद रोज योग करते हैं, तो योग दिवस का विरोध कैसा?
डॉ. शाकिर ने कहा कि पसमांदा मुस्लिम समाज Prime Minister मोदी के साथ है और समाज को आगे बढ़ाने के लिए हर कदम पर सहयोग करेगा. उन्होंने कहा कि हम हिंदुस्तान में रहते हैं और Prime Minister मोदी की बातों को सम्मान देते हैं. हम योग दिवस में शामिल होकर गंगा-जमुनी तहज़ीब को मज़बूत करते हैं. यह हमारे लिए गर्व की बात है.
डॉ. शाकिर ने आगे कहा कि मैं कोई अस्पताल नहीं बता सकता, लेकिन उन्हें खुद सोचने की जरूरत है. एक नमाज अपने आप में कसरत और योग है. अगर समाज एकजुट होकर सार्वजनिक स्थान पर योग करता है तो इसमें खराबी क्या है?
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पीएसके/एबीएम