नई दिल्ली, 20 जुलाई . चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में आकर्षक पश्चिमी बाजारों में भारत के निर्यात में दोहरे अंकों में वृद्धि दर्ज की गई है, जो अर्थव्यवस्था की तरफ से की जा रही प्रतिस्पर्धा की ताकत को दर्शाता है.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा इकट्ठा किए गए नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की तिमाही के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत का निर्यात 10.4 प्रतिशत बढ़ गया, जबकि नीदरलैंड के मामले में 41.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यूनाइटेड किंगडम के शिपमेंट में 21.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात के समृद्ध बाजारों में भारत का निर्यात क्रमशः 26.55 और 17.6 प्रतिशत तक बढ़ गया.
इस दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार बना रहा, इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और नीदरलैंड का स्थान रहा.
आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि चीन को किया जाने वाला निर्यात 2.8 प्रतिशत घट गया, जबकि पड़ोसी देश से आयात 8.3 प्रतिशत बढ़ गया. इससे व्यापार घाटा बढ़ गया.
लाल सागर क्षेत्र के आसपास जहाजों पर हौथी हमलों और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण विश्व व्यापार में व्यवधान जैसी भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद भारत ने लगातार तीन महीनों तक निर्यात में वृद्धि दर्ज की है.
इसी को देखते हुए आरबीआई ने कहा है कि उन्नत अर्थव्यवस्थाओं और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में वैश्विक आर्थिक गतिविधि मजबूत होती दिख रही है और वस्तुओं और सेवाओं में वैश्विक व्यापार गति पकड़ रहा है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है.
भारत का गुड्स एंड सर्विस का निर्यात जून में 5.4 प्रतिशत बढ़कर 65.47 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि इस साल अप्रैल-जून तिमाही के दौरान निर्यात की कुल वृद्धि 8.4 प्रतिशत रही, जो 200.33 बिलियन डॉलर थी.
व्यापार सचिव सुनील बर्थवाल ने इस सप्ताह मासिक व्यापार आंकड़े को जारी करते हुए कहा, “2024-25 की पहली तिमाही में भारत का कुल निर्यात 200 अरब डॉलर को पार कर गया है और अगर यही क्रम जारी रहता है, तो हमें उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष का निर्यात 800 अरब डॉलर को पार कर जाएगा.”
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