परिणाम पर ध्यान न दें, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी में उत्कृष्टता का अभ्यास करें : हर्षा भोगले

अहमदाबाद, 21 जुलाई . भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद (आईआईएमए) की ओर से शनिवार को संस्थान के पूर्व व वर्तमान छात्रों और समुदाय के बीच संवाद व विचारों के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिए पूर्व छात्र व्याख्यान श्रृंखला शुरू की गई. इसका उद्घाटन भारतीय क्रिकेट की प्रतिष्ठित आवाज़, पत्रकार और संस्थान के 1985 के छात्र हर्षा भोगले ने किया.

खचाखच भरे रवि जे मथाई ऑडिटोरियम में हर्षा भोगले ने अपने जीवन और अनुभव से सबसे प्रेरणादायक अनमोल किस्से शेयर किए. इनमें से कई उनके और उनकी पत्नी अनीता भोगले द्वारा लिखी गई पुस्तक “द विनिंग वे – लर्निंग्स फ्रॉम स्पोर्ट फॉर मैनेजर्स” का भी हिस्सा हैं.

हर्षा भोगले ने कहा, “सबसे आसान काम यह है कि आप जो नहीं कर सकते, उसके बारे में सोचते रहें. आप अपना जीवन यह सोचने में बिता सकते हैं कि आप कौन नहीं हैं और अक्सर आप उसी से परिभाषित होते हैं. उन्होंने कहा, आप जो नहीं कर सकते, उसे आप जो कर सकते हैं, उसके रास्ते में न आने दें. अपनी कमज़ोरियों से लड़ें और ऐसी चीजें खोजने की कोशिश करें, जो आप कर सकते हैं, क्योंकि दृढ़ संकल्प प्रतिभा से कहीं ज़्यादा मज़बूत होता है. कड़ी मेहनत करें और अपना 100 प्रतिशत काम करें, तब भी जब कोई आपको देख नहीं रहा हो. अगर आपने पहले से अच्छी तैयारी कर ली है, तो अवसर आने पर आप तैयार रहेंगे.”

अपने अनुभव से कुछ किस्से शेयर करते हुए, भोगले ने छात्रों को सलाह दी कि वे परिणाम पर ध्यान न दें, जो उनके नियंत्रण में नहीं है और इसके बजाय रोजमर्रा की जिंदगी में उत्कृष्टता का अभ्यास करें. उन्होंने कहा, “भले ही यह आपका बड़ा दिन हो और आप प्रदर्शन करने के दबाव में हों, अपने दिमाग में यह दिखावा करें कि यह बस एक और दिन है, क्योंकि जब आप परिणाम के बारे में चिंतित होते हैं, तो आप अपना वर्तमान और उसके बाद अपना प्रदर्शन बर्बाद कर देते हैं. परिणाम को अपने कौशल और उत्कृष्टता का उपोत्पाद बनने दें और स्वीकार करें कि कुछ दिन हम असफल होंगे. जीवन एक परीक्षा है, और आपके पास हमेशा दूसरा मौका होता है.”

भोगले ने भविष्य के कॉर्पोरेट नेताओं को कार्य नैतिकता और ईमानदारी का पालन करने, विविधता और विनम्रता को अपनाने, जीवन के छोटे-छोटे सुखों का आनंद लेने और सपने देखना कभी बंद न करने का आह्वान किया. निरंतर सीखने और प्रासंगिक बने रहने के महत्व को रेखांकित करते हुए, उन्होंने कहा, “ व्यक्ति को लगातार खुद को नया रूप देना चाहिए और खुद को निखारना चाहिए तथा किसी से या कहीं से भी सीखना बंद नहीं करना चाहिए. जब ​​आप सफल हो जाते हैं, तो कभी भी अति आत्मविश्वास, आत्मसंतुष्टि और अहंकार के जाल में न फंसें. प्रतिभा को पोषित करने वाले और विविधता का जश्न मनाने वाले नेता बनें.

इसके पहले कार्यक्रम में के डीन (पूर्व छात्र और बाह्य संबंध) प्रोफेसर सुनील माहेश्वरी ने हर्षा भोगले का स्वागत किया और विशिष्ट पूर्व छात्र व्याख्यान श्रृंखला के बारे में बताया. इस श्रृंखला का उद्देश्य आईआईएमए के प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों को परिसर में आमंत्रित करना है, जिन्होंने भारत और विश्व स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और प्रभाव डाला है, ताकि वे संस्थान समुदाय, संकाय और छात्रों से जुड़ सकें.

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