नई दिल्ली, 21 जून . भारत तेजी से वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की तरफ बढ़ रहा है. सरकार द्वारा मोबाइल, टेलीविजन, सेमीकंडक्टर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग पर जोर दिया जा रहा है. प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के कारण अगले पांच वर्षों में इसमें और वृद्धि होगी. इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स की ओर से ये जानकारी दी गई है.
रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया कि भारत की इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग अगले पांच वर्षों में 250 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है, जो कि वित्त वर्ष 2023 में 105 अरब डॉलर (जीडीपी का 3 प्रतिशत) थी. भारत का लक्ष्य 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाकर 300 अरब डॉलर करना है.
इन्वेस्ट इंडिया डेटा के मुताबिक, अप्रैल में भारत ने 2.65 अरब डॉलर के सामान का निर्यात किया था, जो कि पिछले वर्ष समान अवधि में 2.10 अरब डॉलर था. इस दौरान कुछ निर्यात में रिकॉर्ड 25.80 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के डेटा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 में 4.10 लाख करोड़ रुपये के मोबाइल फोन का प्रोडक्शन हुआ था, जो कि वित्त वर्ष 2014-15 में 18,900 करोड़ रुपये था. मोबाइल फोन के प्रोडक्शन में बढ़त की वजह पीएलआई स्कीम को माना जाता है.
आईसीईए के चेयरमैन पंकज मोहिन्द्रू ने कहा कि इलेक्ट्रिक मैन्युफैक्चरिंग में वृद्धि के लिए नीतियों में निरंतरता का होना जरूरी है.
एप्पल भारत की घरेलू मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग का एक अच्छा उदाहरण है. चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने में एप्पल ने 16,500 करोड़ रुपये के आईफोन का निर्यात भारत से किया है.
वित्त वर्ष 24 में एप्पल की ओर से करीब 14 अरब डॉलर के आईफोन का उत्पादन किया गया था.
टेलीकॉम प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनी जीएक्स ग्रुप के सीईओ परितोष प्रजापति ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत में पिछले 10 वर्षों में काफी अहम सुधार हुए हैं. नई सरकार में हमें आने वाले वर्षों में कई और सुधार देखने को मिल सकते हैं. ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मा सेक्टर में मैन्युफैक्चरिंग तेजी से बढ़ रही है.
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एबीएस/