तमिलनाडु के छात्रों को मिलने वाले अवसरों को मत नकारिए : केंद्रीय शिक्षा मंत्री

नई दिल्ली, 11 मार्च . राज्यसभा में मंगलवार को शिक्षा मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा हुई. चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दोहराया कि तमिलनाडु में पढ़ाई की भाषा तमिल ही होगी. हमें तमिल भाषा पर गर्व है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर आप (तमिलनाडु सरकार) की आपत्ति क्या है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस बात की वकालत करती है कि तमिलनाडु में कक्षा 5 तक पढ़ाई का माध्यम तमिल भाषा होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि सेंगोल भी तमिल संस्कृति से है. तमिलनाडु के सरकारी स्कूलों में तमिल भाषा पढ़ने वाले छात्रों की संख्या लगातार कम हो रही है और अंग्रेजी पढ़ने वाले छात्रों की संख्या बढ़ रही है. आप मुझे भला-बुरा कह सकते हैं. लेकिन, तमिलनाडु के छात्रों को मिलने वाले अवसरों को मत नकारिए.

शिक्षा मंत्री ने राज्यसभा में एनसीईआरटी के सिलेबस पर सांप्रदायिकता के आरोप लगाए जाने का भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि गांधी हत्याकांड के कुछ अंशों को स्कूली किताबों से हटाने की बात सदन में कही गई है. एनसीईआरटी एक स्वतंत्र संस्था है और उन्होंने कुछ संशोधन किया है. 2005 में जिस टोली ने इसे लिखा था, उसका उद्देश्य क्या था. गांधी हत्या में जो हुआ, उसे पूरा देश जानता है. क्या उसको दर्शाते हुए, कोई जाति वर्ग ही उसके लिए जिम्मेदार है, क्या यह बच्चों को पढ़ना चाहिए.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि ब्राह्मण वर्ग के लोग जिम्मेदार हैं, क्या यह पढ़ाया जाना चाहिए, क्या इसकी अनुमति दी जानी चाहिए.

इससे पहले टीएमसी सांसदों ने सदन में कहा कि एनसीईआरटी ने भारत के कुछ जन आंदोलन को सिलेबस से मिटा दिया.

शिक्षा मंत्री ने इसका जवाब देते हुए कहा कि हां हमने हटाया है. क्या बंदूक उठाने वाले, देश के प्रजातंत्र को नहीं मानने वाले नक्सलवाद को हम जन आंदोलन कहेंगे? नहीं, हम उसे जन आंदोलन नहीं कहेंगे.

भारतीय शिक्षा क्षेत्र पर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि वर्ल्ड क्यूएस रैंकिंग में वर्ष 2014 में केवल 10 संस्थान शामिल थे. अब 2024 में 46 भारतीय संस्थान शामिल हैं, यह हमारी सरकार की उपलब्धि है. वर्ष 2014-15 में पीएचडी में कुल 1 लाख 70 हजार छात्रों का नामांकन था, आज 2 लाख 33 हजार छात्रों का नामांकन है. पेटेंट कराने में भारत पहले आठवें स्थान पर था, आज भारत छठे स्थान पर है. स्टार्टअप इकोसिस्टम में आज हम तीसरे स्थान पर पहुंच चुके हैं.

उन्होंने बताया कि हर दो साल में ‘असर’ नामक निष्पक्ष संस्था का सर्वे होता है. इसकी रिपोर्ट में स्कूली छात्रों की परफॉर्मेंस को पहले से बेहतर बताया गया है. बीते दिनों में प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों के रुझान में बढ़ोतरी हुई है. सरकारी स्कूलों में लर्निंग आउटकम ज्यादा है. यहां बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में दक्षता धीरे-धीरे बढ़ रही है. केंद्रीय विद्यालयों में वर्ष 2004 से 14 के बीच 19,059 शिक्षकों की भर्ती हुई थी.

उन्होंने बताया कि हमारी सरकार में केंद्रीय विद्यालयों में 2014 से 2024 के अंदर 33,953 शिक्षकों की नियुक्ति हुई है. इसी तरह नवोदय विद्यालय में हमने 7,000 नई भर्तियां की है. हमारी विचारधारा गरीब कल्याण है. हमारी विचारधारा एससी-एसटी का उत्थान है.

जीसीबी/