डीके शिवकुमार का बयान कानूनी रूप से सही, भाजपा को सिर्फ तुष्टिकरण दिखता है : हरीश रावत

नई दिल्ली, 24 मार्च . उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने सोमवार को समाचार एजेंसी से बात करते हुए कई मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त की. उन्होंने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के ‘संविधान बदल रहा है’ वाले बयान पर टिप्पणी की.

दरअसल, डीके शिवकुमार ने संविधान में बदलाव की बात की थी, जिस पर भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस एक बार फिर से मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है. हरीश रावत ने इसे नकारते हुए कहा कि भाजपा को हर बात में तुष्टिकरण ही नजर आता है. उनकी सोच सीमित है और शिवकुमार का बयान कानूनी रूप से मान्य है. अगर कुछ गलत होता है, तो अदालत में उसका हल निकाला जाएगा. भाजपा का मकसद केवल समाज में दुर्भावना फैलाना है, वह ऐसे मुद्दों का दुष्प्रचार करने का प्रयास कर रही है.

दिल्ली हाईकोर्ट के जज मामले पर रावत ने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि न्यायपालिका इस मामले की पूरी तह तक जाएगी और उचित कदम उठाएगी. न्यायपालिका पर हमारा विश्वास अडिग है और हम अपने मान-सम्मान के प्रति उनकी समझ पर भरोसा करते हैं.

कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ शिवसेना के बयान पर भी हरीश रावत ने टिप्पणी की.

शिवसेना के एक गुट ने कामरा से माफी मांगने को कहा था, नहीं तो चेतावनी दी थी कि उन्हें मुंबई में घूमने नहीं दिया जाएगा. इस पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के शासन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया गया है. अगर कोई व्यक्ति व्यंग्य करता है, तो वह उस समय की स्थितियों का प्रतिबिंब होता है. कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण के चित्रों की तरह, यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है. ऐसा नहीं होना चाहिए कि हम किसी को दंड देने की धमकी देकर उसकी आवाज दबा दें.

सपा सांसद रामजीलाल के विवादित बयान को लेकर पूछे जाने पर रावत ने कहा कि रामजीलाल को इतिहास का सही अध्ययन करना चाहिए. राणा सांगा वीरता के प्रतीक थे और उन्होंने बाबर से संघर्ष करते हुए शहादत दी थी. अगर धोखा न होता तो राणा सांगा ने बाबर को पराजित कर दिया होता. ऐसे वीरों के बारे में ऐसी टिप्पणी करना बेहद निंदनीय है.

दिल्ली के पटपड़गंज सीट से विधायक रवि नेगी ने नवरात्रि में अपने क्षेत्र में मांस की दुकानों को बंद कराने का फैसला लिया है. रावत ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह निर्णय समझ से परे है. अगर उन्हें मांस की दुकानें बंद करनी हैं, तो साल भर के लिए क्यों नहीं? यह केवल एक राजनीतिक दिखावा है. भाजपा के पास विकास और जनकल्याण के मुद्दे नहीं हैं. वे केवल समाज में नफरत फैलाने वाले मुद्दों पर ध्यान दे रहे हैं.

पीएसके/एबीएम