उत्तराखंड आंदोलन के योद्धा दिवाकर भट्ट पंचतत्व में विलीन, हरिद्वार में नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई

हरिद्वार, 26 नवंबर . उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रमुख सिपाही और निर्भीक नेता दिवाकर भट्ट को Wednesday को हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. हजारों लोग इस दौरान वहां मौजूद थे और पूरा माहौल गम और श्रद्धा से भरा हुआ था. उनके पुत्र ने उन्हें मुखाग्नि दी.

दिवाकर भट्ट अलग राज्य की लड़ाई के शुरुआती दिनों से सक्रिय रहे. जेल गए, लाठियां खाईं, और मुजफ्फरनगर कांड से लेकर रामलीला मैदान गोलीकांड तक हर बड़े आंदोलन में वे आगे-आगे रहे. लोग उन्हें “आंदोलन का रीढ़” कहते थे.

Chief Minister पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पर दिवाकर भट्ट को श्रद्धांजलि दी और लिखा, “उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ आंदोलनकारी एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है. राज्य निर्माण आंदोलन से लेकर जनसेवा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्य सदैव अविस्मरणीय हैं. ईश्वर से प्रार्थना है कि पुण्यात्मा को श्रीचरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिजनों व समर्थकों को यह असीम दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें. ..ॐ शांति..

श्रद्धांजलि देने वालों में हरिद्वार के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोभाल, कई विधायक, पूर्व मंत्री, उत्तराखंड क्रांति दल के नेता, राज्य आंदोलनकारी मंच के साथी और सैकड़ों आम नागरिक शामिल थे. सभी ने पुष्पांजलि अर्पित कर नम आंखों से उन्हें याद किया.

आंदोलन के पुराने साथी के मुताबिक, “दिवाकर भट्ट कभी समझौता नहीं करते थे. अलग राज्य बना तो भी उन्होंने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना नहीं छोड़ा. वे अंत तक लड़ते रहे.”

परिजनों के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों से वे बीमार चल रहे थे. Tuesday देर रात देहरादून में उन्होंने अंतिम सांस ली. आज सुबह उनका पार्थिव शरीर हरिद्वार लाया गया.

उत्तराखंड बनने की लड़ाई में अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले दिवाकर भट्ट अब भले ही हमारे बीच नहीं हैं. लेकिन, उनकी आवाज, उनका संघर्ष और उनका जज्बा हर उस युवा के दिल में जिंदा रहेगा जो आज इस पहाड़ी राज्य में सांस ले रहा है.

एसएचके/जीकेटी