सीमावर्ती गांवों के युवाओं संग राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्र के विकास पर चर्चा

नई दिल्ली, 19 जनवरी . केंद्र सरकार के ‘सीमा क्षेत्र युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम’ के तहत सीमा के समीप स्थित गांवों के युवाओं को देश के अन्य क्षेत्रों से रू-ब-रू कराया जा रहा है. इसी कड़ी में में जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड के 100 से अधिक युवाओं ने दिल्ली में पांच दिन रहकर कई गतिविधियों में हिस्सा लिया और विभिन्न विषयों पर चर्चा की.

राष्ट्रीय एकीकरण को और अधिक मजबूत करने के उद्देश्य से यह पहल की गई है.

केंद्र सरकार के मुताबिक, इस पहल के जरिए युवाओं में नेतृत्व विकास, नागरिक सहभागिता, तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में युवा सशक्तिकरण हेतु रणनीतियों पर जोर दिया गया. सीमावर्ती गांव के इन युवाओं के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा, शासन में युवाओं की भूमिका, देश की विभिन्न सीमाओं से लगते उनके इलाकों के विकास पर महत्वपूर्ण चर्चाएं भी की गईं.

नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) ने 15 से 19 जनवरी तक दिल्ली स्थित राजघाट में गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति (जीएसडीएस) में यह कार्यक्रम आयोजित किया. कार्यक्रम में पूरे देश के विभिन्न सीमावर्ती क्षेत्रों के युवाओं को एक साथ लाया गया. इसके माध्‍यम से उन्हें बातचीत करने, शिक्षण और एकता, शांति तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान के अनुभवों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान किया गया.

केंद्र सरकार का कहना है कि इस पांच दिवसीय कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना, युवा नेतृत्व को बढ़ावा देना और देश के सीमावर्ती क्षेत्रों की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता के बारे में जागरूकता पैदा करना था. इसमें जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड के 100 से अधिक युवा प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

कार्यक्रम में सांस्कृतिक गतिविधियां, कार्यशालाएं, चर्चा और दिल्ली के महत्वपूर्ण स्थानों की यात्राएं शामिल रहीं. छात्रों ने राजघाट स्मारक की भी यात्रा की जहां महात्मा गांधी की शांति और अहिंसा की विरासत पर प्रकाश डाला गया.

कार्यक्रम में एनटीआरआई की विशेष निदेशक डॉ. नूपुर तिवारी, साइबर सुरक्षा (गृह मंत्रालय) निदेशक डॉ. निशांत, राजघाट स्थित गांधी दर्शन के निदेशक डॉ. ज्वाला प्रसाद शामिल हुए. इनके अलावा एनवाईकेएस के निदेशक (प्रभारी) प्रकाश वैद्य, एनवाईकेएस दिल्ली के राज्य निदेशक भी इस कार्यक्रम का हिस्सा रहे.

प्रतिभागियों ने विभिन्न संस्कृतियों के प्रति आपसी समझ और सम्मान को बढ़ावा देने के लिए अपनी क्षेत्रीय परंपराओं, संगीत और नृत्य का प्रदर्शन किया. युवाओं ने भारत की विरासत के बारे में जानने के लिए राजघाट, कुतुब मीनार और राष्ट्रीय संग्रहालय जैसे प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण किया. विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने राष्ट्रीय सुरक्षा, शासन में युवाओं की भागीदारी के महत्व और सीमावर्ती क्षेत्रों में सतत विकास पर सत्रों का नेतृत्व किया.

जीसीबी/एकेजे