दिनेश शर्मा फलाहारी ने सीएम योगी को लिखा पत्र, रोहिंग्याओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग

नई दिल्ली, 27 अप्रैल . जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं. केंद्र सरकार के निर्देश पर कई राज्यों में पाकिस्तानी नागरिकों का निर्वासन तेजी से चल रहा है. साथ ही, श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले के याचिकाकर्ता पंडित दिनेश शर्मा फलाहारी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.

फलाहारी ने पत्र में आरोप लगाया कि प्रदेश के हर जिले में कबाड़ व्यापार मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय के लोग करते हैं, जो अवैध प्रवासियों को छिपाकर उनसे कबाड़ का काम करवाते हैं. उन्होंने दावा किया कि ये प्रवासी रात में चोरी और दिन में कबाड़ बीनने का काम करते हैं. उनके पास फर्जी आधार कार्ड हैं, जिनके जरिए वे राशन प्राप्त करते हैं.

फलाहारी ने कहा, “कबाड़ व्यापारी इन अवैध प्रवासियों को गोदामों में छिपाते हैं और चोरी का माल खरीदते हैं. ऐसे व्यापारियों और इन्हें संरक्षण देने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.”

बृज के कई संतों ने इस मुद्दे पर समर्थन जताया है. महामंडलेश्वर रामदास महाराज, स्वामी डॉ. सत्यमित्रानंद महाराज, राम की दासी युगेश्वरी देवी और देवी मीरा किशोरी ने अवैध प्रवासियों को देश से बाहर करने की मांग की. संतों का कहना है कि ये प्रवासी सुरक्षा के लिए खतरा हैं और इन्हें संरक्षण देने वाले राजनीतिक दलों के वोट बैंक की राजनीति को बेनकाब करना जरूरी है.

दिनेश शर्मा फलाहारी ने कहा कि आज हमने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है और मांग की है की जितने भी मुसलमान हैं, जो रोहिंग्या हैं, अवैध घुसपैठिए हैं, बांग्लादेशी हैं, ये सभी अभी भी छुपे हुए हैं. ये लोग कबाड़ का जो व्यापार करते हैं, उन व्यापारियों के गोदामों में छुपे हुए हैं. हमने सरकार से मांग की है इसकी जांच की जाए. उन कबाड़ व्यापारियों की भी जांच की जाए. अवैध घुसपैठ को संरक्षण देने वालों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पहलगाम हमले की निंदा करते हुए कहा कि आतंकियों और उनके समर्थकों को बख्शा नहीं जाएगा.

उधर, अजमेर दरगाह के उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने भी बेगुनाहों की मौत का बदला लेने की मांग की.

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