दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश विधानसभा में आयोजित किया ‘जंगल सत्याग्रह’ का प्रीमियर शो

भोपाल, 13 जनवरी . ब्रिटिश शासन के खिलाफ आदिवासी आंदोलन को उजागर करती सच्ची कहानी पर आधारित फिल्म ‘जंगल सत्याग्रह’ का स्पेशल प्रीमियर सोमवार को मध्य प्रदेश विधानसभा में आयोजित किया गया.

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा विधानसभा के सभागार में आयोजित प्रीमियर में प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष जीतू पटवारी और विपक्ष के नेता उमंग सिंघार समेत अन्य कांग्रेस नेता शामिल हुए.

फिल्म में अभिनय करने वाले विधानसभा सचिव ए.पी. सिंह और बैतूल के दो पूर्व विधायकों के अलावा सुखदेव पानसे, धरमू सिंह सिरसाम और फिल्म के निर्माता-निर्देशक प्रदीप उइके भी प्रीमियर में शामिल हुए.

दिग्विजय सिंह के कार्यालय ने बताया कि मुख्यमंत्री मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर सहित सत्तारूढ़ भाजपा के विधायकों को भी फिल्म देखने के लिए आमंत्रित किया गया था, हालांकि वे नहीं आए. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी.डी. शर्मा को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन वह भी इसमें शामिल नहीं हुए.

दिग्विजय सिंह ने कहा, “यह ब्रिटिश शासन के खिलाफ आदिवासी आंदोलन की शुरुआत की कहानी है. मैं राज्य के लोगों से अपील करता हूं कि वे यह फिल्म देखें और जानें कि हमारे आदिवासी नायकों ने अपने अधिकारों और एकता के लिए कैसे लड़ाई लड़ी.”

फिल्म में 1930 के दशक में मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में शुरू हुए आदिवासी आंदोलन के साथ फिल्म ‘जंगल सत्याग्रह’ में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आदिवासियों के संघर्ष को दिखाया गया है, जिसमें मध्य प्रदेश के बैतूल और छिंदवाड़ा जिलों के आदिवासी समुदायों के किरदार हैं.

बैतूल के निवासी और फिल्म के निर्देशक प्रदीप उइके ने कहा कि फिल्म की शुरुआत बैतूल जिले के बंजारी ढाल से हुई है, जो उस समय मध्य भारत का हिस्सा था.

उन्होंने कहा, “फिल्म में आदिवासी कलाकार हैं, जिनमें से कई स्थानीय हैं और इसकी ज्यादातर शूटिंग बैतूल और छिंदवाड़ा जिलों में हुई है. विधानसभा में फिल्म का प्रीमियर आंदोलन की पहचान के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.”

उन्होंने आगे कहा कि यह फिल्म सरदार गंजन सिंह कोरकू, सरदार विष्णु सिंह गोंड, ठाकुर मोहकम सिंह, रामजी कोरकू और जुगरू गोंड सहित आंदोलन के प्रमुख नेताओं के प्रति सम्मान है.

उल्लेखनीय है कि बैतूल के रामपुर थाने में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को कैद किया गया था. उस जगह को जंगल सत्याग्रह और इसकी विरासत का सम्मान करने के लिए एक संग्रहालय में बदल दिया गया है.

इससे पहले, दिग्विजय सिंह ने कहा था कि उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव से राज्य में ‘जंगल सत्याग्रह’ को कर मुक्त करने का अनुरोध किया था. हालांकि, राज्य सरकार ने अभी तक इस संबंध में कोई घोषणा नहीं की है.

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