नई दिल्ली, 2 सितंबर . क्या आपने कभी सोचा है कि बिना किसी शार्क केज के, विशाल समुद्र में अकेले तैरकर मीलों की दूरी तय करना कैसा होता होगा? शार्क और अनजान खतरों से घिरे, सिर्फ अपने हौसले और मानसिक ताकत के भरोसे आगे बढ़ते रहना…वह भी 64 साल की उम्र में. यह असाधारण कारनामा कर दिखाया था लॉस एंजिल्स की मैराथन तैराक डायना न्याड ने, जिन्होंने उम्र के इस पड़ाव पर तमाम प्रतिकूल हालातों में क्यूबा से फ्लोरिडा तक 100 मील से अधिक की दूरी तैरकर पार की थी.
इसके साथ ही वह बिना शार्क केज के क्यूबा से फ्लोरिडा तक 110 मील की दूरी तैरने वाली पहली व्यक्ति बनी थीं. पूरे पांच प्रयासों के बाद आखिरकार उनको यह दुर्लभ सफलता हासिल हुई थी, जिसने इंसानी सीमाओं को फिर से परिभाषित कर दिया था. लेकिन इस काम के पीछे ऐसी क्या प्रेरणा थी जिसके लिए उन्होंने अपना जीवन भी जोखिम में डाल दिया था?
असल में क्यूबा से फ्लोरिडा तक का रास्ता लंबी दूरी के तैराकों के लिए हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र रहा है. इसे फ्लोरिडा स्ट्रेट्स कहा जाता है. कुछ लोगों ने इस रास्ते को तैरकर पार करने की कोशिश की है, लेकिन ज्यादातर ने शार्क से बचने के लिए पिंजरों का इस्तेमाल किया है. जैसे कि न्याड ने अपनी पहली कोशिश में किया था, जब वह 28 साल की थीं. शार्क केज के साथ भी कुछ चुनिंदा लोग ही इस मार्ग को तैरकर पार करने में सफल रहे हैं.डायना ने 60 साल की उम्र में वह काम पूरा करने का फैसला किया था जो वह 28 साल की उम्र में नहीं कर पाई थीं. अपने युवा दिनों में क्यूबा से फ्लोरिडा तक की यह दूरी वह पार नहीं कर पाई थी. एक ऐसी अधूरी इच्छा जो बाद 60 बरस में जिद्द, इच्छाशक्ति और तैराकी स्किल के दम पर पूरी की…..वह भी शार्क केज की मदद के बिना.
फ्लोरिडा स्ट्रेट्स की परिस्थितियां भी कठिन हैं, पानी का तापमान भी अधिक है और यहां खतरनाक समुद्री जीव भी होते हैं, जैसे शार्क और बॉक्स जेलीफिश. बॉक्स जेलीफिश के डंक में इतना जहर होता है कि वह इंसान को अपंग या मार भी सकता है. शार्क के बारे में तो सभी जानते ही हैं.
इसके अलावा, इस रास्ते पर पानी की धाराएं भी अनिश्चित होती हैं. इसलिए तैराक के साथ किसी अनुभवी नेविगेटर का होना जरूरी होता है. डायना अपने सफर में अकेली नहीं थीं. उनके साथ एक टीम भी थी जिसमें नेविगेटर से लेकर, जेलीफिश और शार्क विशेषज्ञ, डॉक्टर जैसे लोग भी थे.
डायना ने 60 से 64 साल की उम्र तक पांच बार अटेम्प्ट किए थे, जिसमें बताया जाता है कि तीन बार वह मरते-मरते बची थीं. लेकिन पांचवें और अंतिम प्रयास में उन्होंने चमत्कार करके दिखा दिया. एक ऐसी उपलब्धि जो किसी कम उम्र की लड़की के लिए भी हासिल करना काफी मुश्किल होता. वह 64 साल की उम्र में 53 घंटे और 100 मील से ज्यादा दूरी तैरकर पार करने के बाद क्यूबा से ‘की वेस्ट’ 2 सितंबर को पहुंची थीं. 2 सितंबर इस उपलब्धि के लिहाज से एक यादगार दिन है.
इतने घंटे तैराकी का अनुभव कैसा था, इसको बयां करने के लिए डायना द्वारा रिकॉर्ड बनाने के बाद एक इंटरव्यू में कहे गए यह शब्द ही काफी हैं, “मैं नरक से गुजरी हूं. सांस लेना मुश्किल था. खारा पानी अपने अंदर न लेना और भी मुश्किल था…..लेकिन आप कभी इतने बूढ़े नहीं होते कि अपने सपने को पूरा न कर सकें.”
स्थिति ऐसी हो गई थी कि रात में उनकी जीभ और होंठ भी सूज गए थे. उनको लगातार तैराकी के साथ अपनी उर्जा को बनाने के लिए हाई कैलोरी फूड दिया जा रहा था. लेकिन डायना ने उम्र को एक बार फिर महज एक संख्या के तौर पर स्थापित कर दिया. ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं. डायना ने इस सफलता के बाद खेल में मानसिक ताकत की अहमियत पर प्रकाश डाला था. माना था कि ट्रेनिंग अच्छी हो तो उम्र के साथ एंड्यूरेंस को भी बढ़ाया जा सकता है.
डायना के जज्बे ने दुनिया को बेहद प्रभावित किया. न सिर्फ खेल बल्कि मानव जीवन में दर्ज की गई इस खास उपलब्धि से प्रेरित होकर नेटफ्लिक्स पर ‘न्याड’ नाम से साल 2023 में फिल्म भी आ चुकी है. जिसे आईएमडीबी पर 7.1 की रेटिंग मिली है.
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एएस/केआर