बीजिंग, 12 जून . यूनेस्को की पूर्व महानिदेशक इरीना बोकोवा ने कहा कि ‘सभ्यताओं के बीच संवाद’ मानव सभ्यता के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरक शक्ति है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव पारित कर 10 जून को ‘सभ्यताओं के संवाद’ का अंतर्राष्ट्रीय दिवस स्थापित किया. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय है, जो संयुक्त राष्ट्र के मिशन के अनुरूप है और विश्व के विभिन्न देशों के लोगों और सभ्यताओं के बीच आपसी समझ व मान्यता को बढ़ाएगा.
शिन्हुआ समाचार एजेंसी को दिए एक लिखित साक्षात्कार में बोकोवा ने कहा कि ‘सभ्यताओं के बीच संवाद’ के अंतर्राष्ट्रीय दिवस की स्थापना का निर्णय संयुक्त राष्ट्र के मूल इरादे और अवधारणा के अनुरूप है. संयुक्त राष्ट्र महासभा के कई हालिया प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र को ‘सभ्यताओं के बीच संवाद का प्राकृतिक घर’ के रूप में परिभाषित करते हैं. इस तरह के संवाद सभी क्षेत्रों में मानव प्रयासों के समृद्ध और फलदायी विकास को बढ़ावा दे सकते हैं.
बोकोवा का मानना है कि आज की दुनिया शांति और सतत विकास बनाए रखने जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रही है और सभ्यताओं के बीच संवाद अधिकाधिक महत्वपूर्ण हो गई है. ‘सभ्यताओं के बीच संवाद’ अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का ‘उप-उत्पाद’ नहीं है, बल्कि मानव सभ्यता के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरक शक्ति और रचनात्मकता, नए विचारों के विकास और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए निरंतर प्रेरक शक्ति है.
बोकोवा ने आशा व्यक्त की कि ‘सभ्यताओं के बीच संवाद’ के अंतर्राष्ट्रीय दिवस की स्थापना से सभ्यताओं के आदान-प्रदान में संयुक्त राष्ट्र और यूनेस्को की गतिविधियां मजबूत होंगी और दुनिया भर के लोगों व सभ्यताओं के बीच आपसी समझ और मान्यता बढ़ेगी.
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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